52 सालों बाद दादीमाँ के मायके में एक दिन (1)

उजड़ने-बसने की पीड़ा और सहने का धैर्य। सत्यदेव त्रिपाठी। दादीमाँ का मायका- यानी मेरे पिता-काका… आदि का ननिहाल और मेरा अजियाउर। दादी को आजी भी कहा जाता है- दक्षिण भारत में अज्जी। हमारे यहाँ रिश्ते-नातेदारियाँ स्त्रियों के अपना घर छोड़कर अन्य घर जाने से बनती हैं– यानी स्त्री-संचालित है हमारा कुटुम्ब व समाज। जन्म का … Continue reading 52 सालों बाद दादीमाँ के मायके में एक दिन (1)