52 सालों बाद दादीमाँ के मायके में एक दिन (2)
बड़के बाबू: मेरे जीवन के बुनियादी निर्माता। सत्यदेव त्रिपाठी। इस प्रकार मेरे जीवन के बुनियादी निर्माता मेरे यही बड़के बाबू हैं। वे स्वयं प्राइमरी पाठशाला में प्रख्यात मुख्याध्यापक थे और संस्कृत के दबंग विद्वान। ‘प्रकांड विद्वान’ नहीं कह रहा हूँ, क्योंकि उनकी संस्कृत की पढ़ाई तो मध्यमा (इंटरमीडिएट के समकक्ष) तक ही हुई थी, … Continue reading 52 सालों बाद दादीमाँ के मायके में एक दिन (2)
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