काग़ज़ के रावण मत फूँकों, ज़िंदा रावण बहुत पड़े हैं

ध्रुव गुप्त। दशहरे में भगवान राम के विजयोत्सव के साथ रावण के पुतला दहन की परंपरा भी है। ऐसा क्यों है यह समझ नहीं आता। युद्ध में मारे गए किसी योद्धा को एक कर्मकांड की तरह बार-बार जलाकर मारना मनुष्यता के विपरीत कर्म है। इस परंपरा पर पुनर्विचार की आवश्यकता कभी किसी ने महसूस नहीं … Continue reading काग़ज़ के रावण मत फूँकों, ज़िंदा रावण बहुत पड़े हैं