मातृभाषा में सोचने और बोलने से अभिव्यक्ति में आसानी: प्रो. द्विवेदी

आपका अख़बार ब्यूरो। “कोई भी भाषा किसी व्यक्ति की मातृभाषा की जगह नहीं ले सकती। हम अपनी मातृभाषा में सोचते हैं और उस पर हमारा स्वाभाविक अधिकार होता है। मातृभाषा में सोचने और बोलने से अभिव्यक्ति में आसानी होती है और हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ता है।” यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) नई दिल्ली … Continue reading मातृभाषा में सोचने और बोलने से अभिव्यक्ति में आसानी: प्रो. द्विवेदी