‘लोकगाथा’ : कुछ कागद-लेखी कुछ आँखन-देखी 3

विधान एवं विशेषताएँ। सत्यदेव त्रिपाठी। जैसा कि कहा गया– लोकगाथाएँ गीतमय होती हैं। सो, गीतमयता ही उसके विधान व विशेषताओं का सबसे प्रमुख आयाम होता है। कथा के दौरान हर मौक़े पर वर्णन-कथन के लिए ढेरों गीत पिरोये होते और उसे ऊँचे स्वर में, सधे सुर-लय में गा-गाके सुनाता था गाथा-गायक। ये गीत ही लोकगाथा … Continue reading ‘लोकगाथा’ : कुछ कागद-लेखी कुछ आँखन-देखी 3