संवैधानिक पद का अपमान करना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण, अपनी बात कहने के और भी रास्ते
– डॉ. मयंक चतुर्वेदी लोकतंत्र के मंदिर के रूप में संसद को देखा जाता है । भारतीय संसद न सिर्फ कानून बनाती है, बल्कि देश कैसे चलेगा, भारत के लोक का भविष्य क्या होना चाहिए, उसके लिए कौन से निर्णय लिए जाएं । समाज की व्यवस्थाओं से लेकर एक लोककल्याणकारी राज्य शासन के लिए जो … Continue reading संवैधानिक पद का अपमान करना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण, अपनी बात कहने के और भी रास्ते
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