एक मजहब का मुद्दा आते ही संविधान को क्यों भूल जाते हैं जज साहबान?

प्रदीप सिंह।   सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस सूर्यकांत ने नुपूर शर्मा मामले में जो टिप्पणी की है उसे लेकर देश में नया विमर्श खड़ा हो गया है। जजों को आजकल एक शौक हो गया है नेता बनने का। उनको लगता है कि इस तरह के बयान देकर वे समाज सुधारक हो गए हैं। … Continue reading एक मजहब का मुद्दा आते ही संविधान को क्यों भूल जाते हैं जज साहबान?