जया बच्चन स्वभाव से ही कटु हैं
कल जब उपयोगी होऊंगा तो अनिल अंबानी फिर आ जायेंगे
रामगोपाल के कारण मुलायम मुझसे दूर हुए
मोदी मुख्यमंत्री थे तो मिलते थे,प्रधानमंत्री बनने के बाद नहीं
देश – विदेश के राजनीतिकों ,उद्योगपतियों ,फिल्मवालों में अमर सिंह एक उत्प्रेरक के तौर जाने जाते हैं ।इनमें बहुत से लोग दूसरे के सामने तो उनके नाम पर मुंह बनाते हैं लेकिन अकेले में उनसे अपने काम के लिए गिड़गिड़ाते हैं।केन्द्र में वाजपेई राज के समय सपा को उ.प्र. में मायाराज के बाद सत्ता दिलाने और प्रचार तंत्र में सर्वव्यापी बनाने वाले अमर सिंह इन दिनों अपनी दैहिक व्याधि और मुलायम परिवार के दंश के चलते राजनीति से थोड़ा दूर रहकर देह को बचाने , स्वास्थ्य सुधारने व व्यवसाय को बढ़ाने में समय लगा रहे हैं।प्रस्तुत है उनसे विभिन्न मुद्दों पर कृष्णमोहन सिंह से बातचीत के प्रमुख अंश –
कभी आप सपा के समग्र थे,केन्द्र सरकार के कई फैसलों ,समझौतों के निर्णायक थे, क्या अब राजनीतिक गतिविधियों से दूर हो गये हैं ?
फिलहाल राजनीति हमसे दूर है।हमारी दैहिक व्याधि ने इसके लिए मजबूर कर दिया। वैसे भी ज्यादेतर पुरूषों के जीवन व पुरूषार्थ की पहली प्राथमिकता निरोगी काया ,दूसरी प्राथमिकता पास में माया,तीसरी प्राथमिकता सुन्दर नारी होती है।जीवन में तीनों सुख मिला।
जब काया रोगी हो गई तो क्या माया सुख । मुझको जो व्याधि हुई उसमें मृत्यु का योग ज्यादा,जीवन का कम था। जब जीवन और मृत्यु में से किसी का चुनाव करना रहा तो राजनीति की इच्छा कम हो गई ।
दिल्ली के जसलोक अस्पताल के डा. अश्विनी चोपड़ा ने आंत काट दिया कैंसर से इन्फेक्शन बताकर।जबकि आंत की जांच किया गया तो पाया गया कि कैंसर था ही नहीं। इस डाक्टर ने यह किया एक सांसद व स्वास्थ्य संबंधी संसदीय समिति के अध्यक्ष का।आंत में कैंसर नहीं होने के बावजूद इस डाक्टर द्वारा आंत काट दिये जाने के बाद आंत नहीं रहने से गुर्दे खराब हो गये। गुर्दे तो सिंगापुर जाकर बदल दिये लेकिन आंत नहीं बदल सकते।इसके लिए दवा लेनी पड़ती है। इस तरह मैं गुर्दा विहिन व आंत विहिन बीमारियों से आज भी लड़ रहा हूं।
रही बात राजनीति की तो नेता व सन्यासी वही होता है जो बोलता है और डोलता है। जब बुद्ध बोले व डोले तो उनका धर्म वैश्विक हो गया।
यह छह साल ( 2009 से 2015 तक का)व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए अच्छा बीता।मेरे पर लगाये सभी मुकदमें खत्म हो गये। मैं सबमें साफ साबित होकर निकल आया। गुर्दे व आंत नहीं होने के बावजूद प्रभु की कृपा से इस तरह जीवन जी रहा हूं। हिमोग्लोबीन कम होने पर सिंगापुर गया, वहां कोमा में चला गया। लेकिन 8 दिन बाद होश आ गया।झांसी में हेलिकाप्टर से तालाब में गिर गया था, बच गया। इस तरह 3 बार मौत के मुंह से वापस आ चुका हूं।
आपने यूपीए-1 की सरकार को अमेरिका के साथ परमाणु सौदे के समय वामपंथियों के समर्थन वापस लेने के बाद बचाया था । लेकिन उसी मनमोहन सरकार ने यूपीए -2 के समय आपको जेल में डाल दिया , क्यों ?
यूपीए -2 सरकार के समय गृहमंत्री पी.चिदम्बरम के आदेश पर मुझे जेल भेजा गया। और स्पीकर द्वारा क्लीनचिट देने के बाद यह पहलीबार हुआ । चिदम्बर के कहने पर पुलिस ने मेरे विरूद्ध चार्जशीट किया और जेल भेज दिया।
पी.चिदम्बरम की आपसे क्या नाराजगी थी ?
उद्योगपति अनिल अग्रवाल की कम्पनी वेदांता से चिदम्बरम के संबंधों वाली फाइल संसद में पढ़ी थी। संभवत: उसी का बदला लिया। अगर उनका ( चिदम्बरम) वश चलता तो तबके वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को भी निपटा दिये होते। दोनों में जो विरोधाभास हुआ वह जग जाहिर हुआ।प्रणव मुखर्जी जैसे सुलझे व्यक्ति भी चिदम्बरम के गरल को पचा नहीं पाये , विफर पड़े।मैं कहना चाहूंगा कि चिदम्बरम ने पुलिस से जो चार्जशीट कराई थी सर्वोच्च न्यायालय ने उसे खारिज कर दी। कांग्रेसी नेता भंवर सिंह आकर कहे कि हमारे नेता राहुल गांधी आपसे नहीं मिलना चाहते हैं क्योंकि आप दागी हो गये हैं।जिस पर मैंने उनके नेता के यहां सर्वोच्च न्यायालय से बरी होने वाली रिपोर्ट भेज दी थी यह कहते हुए कि आपसे सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।
जो लोग आपके बहुत करीबी थे – मुलायम सिंह यादव,अमिताभ बच्चन ,अनिल अंबानी आदि कैसे आपसे बहुत दूर हो गये ?
मैं नहीं ये लोग हमसे दूर हो गये। प्रकृति का नियम है – हर सुबह के बाद शाम होती है। 1996 से पहले मेरे जीवन में कड़कड़ाती धूप थी।1996 से 2009 तक मेरे जीवन का प्रत्येक दिन उत्थान का दिन था।इस 14 साल में सबने मेरा लाभ लिया,मेरे साथ रहने वाले या अन्य भी।और समय के फेर के साथ ज्यादेतर लाभ लेने वालों ने मुंह फेर लिया। यह मेरे पर ही लागू नहीं होता।इंदिरा,चन्द्रशेखर दोनों के साथ भी यही हुआ। शाह कमीशन में इंदिरा गांधी के विरूद्ध उनके विश्वासपात्र रहे ने बयान दिया था।जूलियस सीजर के सबसे विश्वासपात्र ब्रूटस ने जब उसको दगा दिया ,पीठ में छूरा घोंपा तो सीजर के मुंह से निकला था – ब्रूटस यू टू ।
कहावतें अनुभवों का निचोड़ होती हैं।विद्यासागर ने लिखा है – आपका नुकसान वही करेगा जो आपके निकट हो और आपका लाभ ले। इसलिए आपके पास सत्ता हो तो आप निरीह लोगों की मदद करें। आप अपने करीबियों की मदद करेंगे तो वही पहले आपका अहित करेंगे।
2009 से स्वास्थ्य की दृष्टि से मेरी गोधूली शुरू हुई। स्वास्थ्य खराब हुआ तो लोग हमारे साथ क्यों रहें ?
अमिताभ बच्चन क्यों दूर हुए ?
मैंने कहा था कि सहारा के बोर्ड से निदेशक पद से आप तीनों (अमिताभ बच्चन,जया बच्चन और ऐश्वर्या बच्चन) इस्तीफा दे दीजिए। अनिल अंबानी के यहां भोजन के समय अमिताभ ने कहा कि अमर ने सहारा के बोर्ड से निकलवाया ।जिसपर मुझे बहुत पीड़ा हुई। लेकिन यदि वह वहां होते तो आज सुब्रत राय की तरह जेल में होते।पद्म विभूषण भी नहीं मिला होता।
इसके बाद मैंने बच्चन की कम्पनी एबीकार्प के वाइस चेयरमैन के पद से इस्तीफा दिया और उनका अपनी कम्पनी से इस्तीफा लिया था। मेरी कथनी करनी में कभी भेद नहीं रहा। सच कटु होते हुए भी बोल दो। इससे तात्कालिक तकलीफ होगी, दीर्घकालिक तकलीफ नहीं होगी।जो छुप कर करो वह स्कैम है , जो खुलकर करो वह घटना है।हम विवादित रहे लेकिन झूठे व फ्राड नहीं रहे।
क्या ये ही वजह रहे जिससे जया बच्चन आपके प्रति इतनी कटु हैं ?
जया जी अपने स्वभाव से ही कटु हैं।अपने पति से कटु हैं,अपने बहू से कटू हैं। जब अमिताभ को ब्लैक..फिल्म में पुरस्कार मिला था तो जया ने कहा था कि इसमें कौन सी बड़ी बात है..।
मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी से संबंध क्यों बिगड़े ?
मुकेश से हमारे संबंध अनिल अंबानी के कारण बिगड़े । और अनिल से इसलिए बिगड़े क्योंकि हम सत्ता से बाहर हो गये।कल मैं उपयोगी होऊंगा तो वह आ जायेंगे। बीच में एक उपयोग करना था , वह आ गये। सहयोग लेकर चले गये।उनकी पत्नी को मैं बहन मानता हूं। वह एक अच्छे व्यापारी हैं।टीना बहुत अच्छी महिला हैं।उनसे मेरी बात होती है।अनिल मेरे लिए अब मेरी बहन टीना के पति से ज्यादा कुछ नहीं हैं।
यदि मुलायम सिंह यादव आपको वापस सपा में पद दें तो ?
अब संभव नहीं , क्योंकि मेरी इच्छा भी नहीं रही। लेकिन मुलायम सिंह यादव का सम्मान करता हूं।उन्होंने ( मुलायम ) सार्वजनिकरूप से कहा कहा कि अमर सिंह अच्छे आदमी हैं। गलती हुई। इस बारे में मेरा मानना है – गलती करना आसान है। गलती करके स्वीकार करना बड़ी बात है।मैं सभा व्यवसाई नहीं हूं।इसकी रोटी नहीं खाता।
कहा जाता है कि मुलायम सिंह का पैसा आपके पास था । वह झगड़े की जड़ है।
यह सरासर गलत है।यह आजम खां व रामगोपाल के कारण दूरी बढ़ी है।मुलायम ने बार-बार कहा है कि अमर सिंह जैसा ईमानदार आदमी हमने नहीं देखा।मुलायम ने मेरे मामले में आजम का विरोध झेल लिया लेकिन रामगोपाल का नहीं झेल पाये।उनके लिए पहले है परिवार फिर है सहकार ।मैं मुलायम का सम्मान करता हूं। लेकिन मैं भी अपने सम्मान की तिलांजलि देकर कहीं नहीं रह सकता।
दुखी मन मान मेरा कहना,
जहां नहीं चहना वहां नहीं रहना ।
एक तरफ तो लोग कहते हैं कि अमर सिंह ने पैसा मार लिया। दूसरी तरफ मेरी जरूरत की बात करते हैं तो यह दोनों कैसे हो सकता है।मैंने पहले भी कहा है- मैं मुलायमवादी हूं समाजवादी नहीं।किसी व्यक्ति या समूह की संतुष्टि के लिए नहीं हूं। जो विकल्प आयेगा देखूंगा।
आपने 2008 में मनमोहन सिंह की सरकार बचाई थी,उसके बावजूद कांग्रेस से रिश्ते अच्छे नहीं ?
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मेरे तल्ख रिश्ते नहीं हैं , केवल पी.चिदम्बरम से है। मनमोहन सिंह ने हाल ही में कहा था कि अमर सिंह ने अब्दुल कलाम के कहने पर परमाणु समझौता मामले में सरकार बचाई थी।
क्या कांग्रेस में जा सकते हैं ?
सोनिया एक अच्छी महिला होने के बावजूद सलाह पर आश्रित हैं। उन्होंने इर्द गिर्द रहने वालों के चलते ही अर्जुन सिंह के साथ क्या किया सबको पता है, फिर अमर सिंह क्या चीज हैं।
राहुल के बारे में आपका आकलन ?
राहुल , सोनिया गांधी के बेटे हैं । राजनीति में होने का एक कारण यह है कि वह सोनिया व राजीव के पुत्र हैं। उन्होंने छात्रों के बीच कहा भी था – बड़े परिवार में पैदा हुआ इसलिए राजनीति में हूं।
नरेन्द्र मोदी जबसे प्रधानमंत्री बने हैं आपकी बात , मुलाकात हुई है या नहीं, उनके सरकार के सवा साल के काम-काज के बारे में आपका क्या आकलन है ?
नरेन्द्र मोदी जबतक गुजरात के मुख्यमंत्री थे बात होती रहती थी, मुलाकात भी होती थी। जबसे प्रधानमंत्री बने हैं मैंने दो बार संदेश छोड़ा,उनका न तो फोन आया नहीं मिलने का समय दिया। हां , मैं लालकृष्ण आडवाणी से मिलने माह में एक बार जाता हूं। वहीं गया था उसी समय वह उनसे मिलने पहुंचे तो नमस्ते – नमस्ते , हाल चाल हुई थी।
रही बात उनके सवा साल के सरकार के काम-काज की तो उन्होंने दिखा दिया कि वह किसी उद्योगपति के खास नहीं हैं।उन्होंने यह साबित कर दिया कि क्रोनी कैपिटलिज्म मोदी के साथ नहीं चलेगा। यह निराधार है कि मोदी के तंत्र का उपयोग कद्दावर नेताओं को बचाने में हो रहा है।
और रही बात राजनीति की तो इस देश के सबसे निडर,बेबाक और बड़े मन के प्रधान मंत्री रहे चन्द्रशेखर ने लिखा ही है –
“राजनीति या तो रंडी है या चंडी है । यह आपके घर की सती साध्वी की तरह आपके साथ नहीं रहती ।”