आपका अखबार ब्यूरो।

कांग्रेस के असंतुष्टों ने पार्टी आलाकमान को फिर से चेतावनी दी है। राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को साफ साफ शब्दों में कहा कि यदि संगठन के चुनाव नहीं हुए तो कांग्रेस अगले पचास साल तक विपक्ष में बैठेगी।


 

पिछले दिनों कांग्रेस के तेइस वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी की स्थिति पर चिंता जताई थी। पत्र में पार्टी की स्थिति सुधारने के लिए किए जाने वाले उपाय भी सुझाए गए थे। कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में पत्र लिखने वालों के बारे में तो चर्चा हुई पर पार्टी में सुधार के उपायों पर कोई चर्चा नहीं हुई।

असंतुष्टों को चेतावनी

कार्यसमिति की बैठक में पास प्रस्ताव में असंतुष्टों का नाम लिए बिना कहा गया कि नेतृत्व को चुनौती देने की कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इतना ही नहीं उसके बाद संसद के मानसून सत्र के लिए दोनों सदनों में पांच-पांच सदस्यों की समिति बनाई गई। इससे असंतुष्ट नेताओं को अलग रखा गया। इसके जरिए उन्हें संदेश दिया गया कि आने वाला समय उनके लिए कठिनाई भरा होने वाला है। यह भी कि पार्टी में सुधार के उनके प्रयास को हाईकमान बगावत के रूप में देख रहा है।

वफादारों को पुरस्कार

कार्यसमिति की बैठक के बाद कांग्रेस आलाकमान काफी सक्रिय हो गया है। यह सक्रियता वफादारों को पुरस्कृत करने और असंतुष्टों को सबक सिखाने के लिए है। लोकसभा में उप नेता का पद डेढ़ साल से खाली पड़ा था। इस के दो प्रमुख दावेदार थे। एक, मनीश तिवारी और दूसरे शशि थरूर। दोनों असंतुष्ट खेमे में हैं। उनकी जगह असम के पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे गौरव गोगोई को लोकसभा में कांग्रेस का उपनेता नियुक्त कर दिया गया है।

असंतुष्टों का पलटवार

वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने एक इंटरव्यू में कहा कि कांग्रेस को चौबीस घंटे वाला नेता चाहिए। जो दिखे भी और प्रभावी भी हो। यह राहुल गांधी और उनकी नेतृत्व शैली पर परोक्ष हमला है। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पार्टी के एक फीसदी लोग भी नियुक्त किया हुआ नेता नहीं चाहते। ऊपर से नीचे तक के पदों के लिए संगठन के चुनाव होने चाहिए। ये बयान इस बात का संकेत हैं कि कांग्रेस की अंदरूनी कलह जल्दी थमने वाली नहीं है।

 

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