—डॉ. शिखा शर्मा (आहार विज्ञानी) ।

आप अपने भोजन की थाली में इंद्रधनुष के सातों रंगों को उतार देते हैं तो आपके शरीर की चमक बढ़ जाती है। पोषक तत्वों से भरपूर रंग-बिरंगे फलों व सब्जियों से आप अपने लिए एक सुरक्षा कवच भी तैयार करते हैं। आपको पता है कि हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं, लेकिन यह जानना दिलचस्प होगा कि वे अलग-अलग किसी विशेष रंग से प्रभावित होते हैं।

 


क्या आप एक ऐसे संसार की कल्पना कर सकते हैं, जिसमें रंग ही न हों। शायद ऐसा सोचना मुमकिन नहीं है क्योंकि जबसे हम आंखें खोलते हैं, हमें रंग दिखाई पड़ते हैं। ये रंग हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं।
हर चीज में हैं ये रंग। रंगों को सौंदर्य बोध के दायरे से बाहर देखते हैं तो उनका अलग ही महत्व दिखाई देता है। इनका हमारे स्वास्थ्य से सीधा संबंध है। प्राचीन काल से ही रंगों से उपचार का काम होता रहा है, चाहे खाने में हो या रंगीन रोशनी को देखकर हो या फिर रंगीन शीशे की बोतलों को जिनमें पानी होता है, धूप में रखकर उसमें चिकित्सकीय गुण पैदा करने की बात हो। हर रंग कुछ कहता है। रंग शरीर में बने अलग-अलग चक्रों को प्रभावित करते हैं। रंगों से भावनाओं पर असर पड़ता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई थकान महसूस कर रहा है तो उसे पीला या लाल रंग देखने की सलाह दी जाती है। जहां तक खाने की बात है तो आहारविज्ञानी (डायटीशियन) ऐसा भोजन करने की सलाह देते हैं जिनमें इंद्रधनुषी रंग हों यानी सात रंग के खाद्य पदार्थों को शामिल करें। इंद्रधनुष का नाम लेने का सिर्फ यही मतलब है कि हम अपने आहार में अलग-अलग चीजों को शामिल करें, जिनसे अधिक से अधिक पोषण हमें मिल सके।

नीला – आज्ञा चक्र
यह रंग आज्ञा चक्र से जुड़ा होता है। यह पूर्वाभास की ताकत देता है।
खाद्य पदार्थ: जामुन और जैतून।
लाभ: इनमें औषधीय गुण होते हैं।

बैंगनी – सहस्र चक्र
यह रंग सहस्र चक्र से जुड़ा होता है जो शरीर में सबसे ऊपर होता है। यह ज्ञान का प्रतिनिधत्व करता है।
खाद्य पदार्थ: अंगूर और कुछ किस्म की बेरीज। बैंगन जैसी सब्जियां।
लाभ: इनमें औषधीय गुण होते हैं।

लाल : मूलाधार चक्र
यह रंग मूलाधार चक्र से संबंधित है जो भूख और काम जैसी मूल भावनाओं का आधार है। शरीर की ताकत भी इसी से जुड़ी है। जब लोग अधिक थकान की बात करते हैं तो उसका अर्थ यही लगाया जाता है कि मूलाधार चक्र का संतुलन बिगड़ा हुआ है।
खाद्य पदार्थ: हर वह चीज जो लाल है जैसे टमाटर, गाजर, स्ट्रॉबेरी, तरबूज, लाल शिमला मिर्च, चेरी, सेब और अनार।
लाभ : टमाटर में लाइकोपीन होता है जिससे त्वचा में निखार आता है। लाइकोपीन यह सुनिश्चित करता है कि जब कोशिकाओं का निर्माण हो तो उनमें कोई विकार नहीं आए। यदि उनमें विकार आ जाता है तो कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। टमाटर खाने का सबसे बढ़िया तरीका यही है कि उसे ताजा और सलाद के रूप में खाया जाए।
सेब और अनार में विटामिन ए और थोड़ा बहुत लौह तत्व (आयरन) भी होता है। अनार में विटामिन सी भी होता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, त्वचा को चमकदार बनाने और हीमोग्लोबीन बढ़ाने में सहायक होता है।

नारंगी – स्वाधिष्ठान चक्र
यह रंग ताकत व गंभीरता का प्रतीक है। यह शरीर के दूसरे चक्र स्वाधिष्ठान चक्र से जुड़ा हुआ है। यह चक्र शरीर में भावनाओं व पानी की मात्रा को संतुलित रखता है। सोडियम व पोटाशियम जैसे खनिज लवण इस चक्र से जुड़े हैं और यदि इनमें कोई असंतुलन पैदा होता है तो तनाव बढ़ जाता है और किडनी संबंधी विकार होने लगते हैं। इसीलिए जिनको तनाव होता है या जो भयभीत होते हैं, उनका रक्तचाप बढ़ जाता है और शरीर में पानी की मात्रा बढ़ने लगती है।
खाद्य पदार्थ: सन्तरा, पीले गाजर, सीताफल (कद्दू)।
लाभ: इनमें अल्फा कैरोटीन, बीटा कैरोटीन और हेस्पेरेडीन जैसे विटामिन होते हैं और पोटाशियम व क्रोमियम जैसे खनिज होते हैं। यदि आपको उच्च रक्तचाप की शिकायत रहती है तो इन्हें खाने से आपको लाभ मिलेगा।

पीला – मणिपुर चक्र
सकारात्मकता, आशा और नई ऊर्जा का द्योतक है यह रंग। आम तौर पर इसे खेल व खिलाड़ियों से जोड़कर देखा जाता है। यह मणिपुर चक्र से जुड़ा होता है और जिस्मानी व दिमागी ताकत से इसका नाता है। यह अस्थि मज्जा का भी पता देता है।
खाद्य पदार्थ: हल्दी, सरसों, मक्का, अनानास इत्यादि।
लाभ: इस रंग के खाद्य पदार्थों से कई फायदे मिलते हैं। इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है (हल्दी), विटामिन बी कॉम्प्लेक्स मिलता है (मक्का), पाचक रस बनते हैं (ब्रोमिलेन)। जो लोग अस्थमा से पीड़ित होते हैं, उन्हें इस रंग के खाद्य पदार्थों से फायदा मिलता है।

आसमानी – कंठ चक्र
आसमान और पानी का रंग, नीला कंठ चक्र से जुड़ा होता है। हमारे शरीर का दो तिहाई भाग पानी है। लिहाजा, यह रंग हमसे सीधे मेल खाता है।
खाद्य पदार्थ: ब्लू बेरीज।
लाभ: यह पोलीफेनोल से भरपूर होती हैं जो कैंसर से बचाती हैं।

हरा – हृदय चक्र
शरीर को यह रंग बहुत अधिक मात्रा में चाहिए। यह स्वास्थ्य व संतुलन का प्रतीक है। इनसे शिराओं का तनाव कम होता है और आराम मिलता है। पौधों का हरा रंग क्लोरोफिल के कारण होता है जो उनकी जीवनरेखा होती है। यही कारण है कि प्राकृतिक चिकित्सा में हरी पत्तेदार सब्जियों का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। यह हृदय चक्र से जुड़ा होता है, जो स्वास्थ्य का मूल है।
खाद्य पदार्थ: हरी पत्तेदार सब्जियां, जो सलाद व सूप में प्रचुर मात्रा में खाई जाती हैं।
लाभ: हरी सब्जियों से भरपूर मात्रा में विटामिन ए, बी कॉम्प्लेक्स और सी, कैल्शियम (पालक व ब्रोकली) व अन्य खनिज मिलते हैं। हरी चाय से भरपूर फेनोल मिलता है, जो गठिया व कैंसर से शरीर की रक्षा करता है।

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