दिव्य अयोध्या- भव्य राममंदिर

-अजय विद्युत

बाबर और राम की विरासत की तुलना कर सद्गुरु साफ कहते हैं कि भारतीय मुसलमानों की पहचान को अत्याचारी बाबर के साथ नहीं जोड़ना चाहिए। यह बहुत बड़ा गुनाह है। बाबर की विरासत को इस देश से पूरी तरह से मिटा देना चाहिए।

राम या बाबर : भारत को किसकी जरूरत?

बाबर की विरासत को इस देश से पूरी तरह से मिटा देना चाहिए। किसी को भी भारत के मुसलमानों की पहचान को इस इन्सान से जोड़ने का गुनाह नहीं करना चाहिए क्योंकि यह किसी भी तरह से एक सच्चा मुसलमान नहीं है। श्रीराम ने कभी यह दावा नहीं किया कि वह हिंदू हैं। लेकिन आज वह इस देश के आइकॉन हैं क्योंकि उनकी वजह से सही तरह के गुण फैल रहे हैं, जो दुनिया में महान सभ्यताएं बनाने के लिए जरूरी हैं।

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इस पूरे मुद्दे के दो अलग अलग आयामों को समझना और कोई निर्णय लेने से पहले सावधान होना इसलिए जरूरी है क्योंकि राम छह हजार साल से ज्यादा पहले हुए थे। उन्होंने क्या किया और क्या नहीं किया दक्षिण भारत में इस पर काफी चर्चा होती है। उत्तर भारत में इस पर चर्चा नहीं होती, वे बस उनकी पूजा करते हैं। छह हजार साल पुराना आइकॉन जिन्होंने लोगों को सच्चाई, पवित्रता और आपस में करुणा रखने की दिशा में प्रेरित किया है- वह भी हजारों पीढ़ियों को- आपको इस आइकॉन से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। क्योंकि मानवता को ऐसे आइकॉन की जरूरत है। आमजन बस उनके जीवन की घटनाएं जानता है- कहां गए, क्या किया? छह हजार साल पहले उन्होंने क्या किया और क्यों किया- आप इसका विश्लेषण नहीं कर सकते। आप उनके मनोरोग चिकित्सक नहीं हैं।

आप राम-कृष्ण-जीसस-बुद्ध को ले सकते हैं और उनकी कमियां निकालकर कह सकते हैं कि यह ठीक नहीं किया, वह ठीक नहीं किया, वे जातिवाद करते थे। यह बकवास है। ऐसी चर्चा उनके बारे में उचित है जो आज दुनिया में मौजूद हैं। वह छह हजार साल पहले थे। आप उन पर अब फैसला सुनाना चाहते हैं। वे एक आइकॉन के रूप में मानवता की मदद कर रहे हैं और आपको इस आइकॉन से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।

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राम किस बात के आइकॉन हैं?

वे स्थिरता के आइकॉन हैं। जल्दबाजी में कदम नहीं उठाते। जब कदम उठाना होता है तो वे निर्णायक कदम उठाते हैं लेकिन किसी बात पर प्रतिक्रिया नहीं देते। युद्ध हो तो वे युद्ध करेंगे और समर्पण करना हो तो समर्पण। राज्य छोड़ना हो तो राज्य छोड़ देगे लेकिन सब कुछ चेतना में और संतुलित तरीके से। इसीलिए हम उनकी पूजा करते हैं। जब उन्होंने रावण को मारा जिसने उनकी पत्नी को चुराया था और भारी तबाही मचाई थी, उसकी मृत्यु पर भी वह पश्चाताप करते हैं कि मुझे ऐसा करना पड़ा। अगर यह कहानी भी है तो आप कहानी के साथ भी छेड़छाड़ मत कीजिए।

भारत में कुछ दर्जन लोग अब भी इस सवाल को जिंदा रखे हैं कि क्या राम अयोध्या में पैदा हुए थे? क्या बाबर वाकई अत्याचारी था?

…हां। अब आप पूछेंगे कि क्या वह इस बिंदु पर पैदा हुए थे? क्या आप खुद जानते हैं कि आप किस बिंदु पर पैदा हुए थे। यह सवाल ही आधारहीन है।

अब बाबर की बात।

बाबर चंगेज खां के बाद की तीसरी पीढ़ी है। यह मंगोल साम्राज्य है। मंगोल शब्द भारत में धीरे धीरे मुगल बन गया। इस मंगोल साम्राज्य के फैलाव के दौरान नब्बे से सौ सालों के बीच चार करोड़ से ज्यादा लोग मारे गए। यह उन दिनोें की आबादी का लगभग दस प्रतिशत है। इतने लोगों को उन्होंने कोई न्यूक्लियर बम से नहीं मारा, तलवारों-भालों से मारा- बहुत ऊर्जावान लोग थे। चंगेज खां का नियम था कि जहां भी वह जाता वहां जितने भी पुरुषों का कद बैलगाड़ी के पहिये से ज्यादा होता उनको मार डाला जाता। फिर यह मुगलों की परंपरा थी कि वे सभी कटे हुए सिरों का पहाड़ बना देते थे और औरतों को गुलाम बना लिया जाता था। वे या सैनिकों की सेवा करती थीं या उन्हें मध्य पूर्व, यूरोप दुनिया के अलग अलग बाजारों में बेच दिया जाता था। चंगेज खां के बाद तैमूर लंग आया। तैमूर लंग का पुत्र था बाबर। तैमूर लंग का साम्राज्य दिल्ली तक था। माना जाता है कि तैमूर लंग ने एक करोड़ सत्तर लाख लोगों को मार दिया। वह भी बहुत क्रूर तरीकों से। फिर बाबर आया। बाबर के वक्त गुरु नानक भी मौजूद थे। नानक बहुत शांत, कोई प्रतिक्रिया न करने वाले और आत्मज्ञानी मनुष्य थे। ये गुरुनानक के शब्द हैं, वे बोले- एक मौत का दूत आया है। यह जहां भी गया इसने हजारों लोग मार दिए। जिस भी शहर में गया सभी पुरुष मार दिये, स्त्रियों को गुलाम बना लिया। स्त्रियों के साथ सार्वजनिक जगहों पर क्रूरता से बलात्कार किया जाता था। यह बलात्कार नहीं उनको एक तरह की सीख थी। बाबर ने इस प्रकार हजारों हिंदू स्त्रियों को काबुल और कंधार के बाजारों में बेच दिया। सौभाग्य से वह भारत में सिर्फ चार साल रहा और मर गया।

…तो बाबर की विरासत को इस देश से पूरी तरह से मिटा देना चाहिए। इन सब से बढ़कर किसी को भी आज के मुसलमानों की पहचान बाबर से नहीं जोड़नी चाहिए क्योंकि वह इतना बड़ा अत्याचारी था कि वह अत्याचार नहीं करता था वह खुद एक अत्याचार था। चंगेज खां लोगों को धर्म के लिए नहीं मारता था, वह बस ताकत और विजय पाना चाहता था, तैमूर लंग भी काफी हद तक विजय ही पाना चाहता था पर उसमें थोड़ा सा धार्मिक रंग था। लेकिन बाबर ने चीजों को धार्मिक मायने देकर उनका बहुत शक्तिशाली तरीके से इस्तेमाल किया। और इससे उसे मारने के लिए और ज्यादा ताकत मिल गई क्योंकि उसे लगा कि वह जेहाद कर रहा है। कई बार उसने मुस्लिम देशों पर भी हमले किए और लोगों को मारा। उसने अपनी सहूलियत के अनुसार धर्म का इस्तेमाल किया। तो उसका मस्जिद बनाना धार्मिकता या भक्ति की वजह से नहीं था, यह प्रार्थना ने लिए नहीं बनाई गई थी। यह भी शासन की स्थापना का एक तरीका था। उसने तमाम हिंदू मंदिरों और जैन मंदिरों को नष्ट किया। इस इंसान और उसकी विरासत को भुला दिया जाना चाहिए। किसी को भी अपनी पहचान इससे नहीं बनानी चाहिए क्योंकि इससे अच्छे भविष्य का निर्माण नहीं होगा।

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