आपका अखबार ब्यूरो।
कांग्रेस में नेहरू-गांधी परिवार का रूठने मनाने के नाटक का एक नया दौर शुरू हो गया है। कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में इस्तीफे की पेशकश की और बाहर गांधी परिवार से ही पार्टी अध्यक्ष बनाने की मांग के नारे लग रहे थे।
दरअसल यह नौबत इसलिए आई कि पार्टी के तेइस वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कहा कि पार्टी में आमूल परिवर्तन होना चाहिए। यह एक तरह से गांधी परिवार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव है। पर परिवार इसे समझने के लिए तैयार नहीं है।
कांग्रेस पार्टी इस समय संदेह अलंकार का बहुत अच्छा उदाहरण बन गई है। स्कूल में हम संदेह अलंकार के उदाहरण के रूप में पढ़ते थे कि- सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है। सारी ही कि नारी है कि नारी ही की सारी है। वैसे ही गांधी परिवार ही कांग्रेस है या कांग्रेस ही गांधी परिवार है। परिवार की ही पार्टी है कि पार्टी का ही परिवार है।
सोनिया गांधी को पत्र लिखने वालों में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, उप नेता आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, भूपेन्द्र सिंह हुडा, वीरप्पा मोइली, शशि थरूर, राज बब्बर, अरविंद सिंह लवली, पृथ्वी राज चह्वाण, राजिन्दर कौल भट्टल, पीजे कुरियन, मुकुल वासनिक, मनीश तिवारी, विवेक तन्खा, अखिलेश सिंह, जितिन प्रसाद, मनीष तिवारी, मिलिंद देवड़ा और संदीप दीक्षित जैसे नेता हैं।
यह पत्र अगस्त के पहले सप्ताह में लिखा गया था। इसके जवाब में सोनिया गांधी ने बैठक में इस्तीफे की पेश की। तो मनमोहन सिंह और एके एंटनी जैसे दरबारियों का अंदाज यह था कि माई-बाप आप बने रहिए नहीं तो हम अनाथ हो जाएंगे। यहां तक तो सारी पटकथा वही थी जो बार बार दुहराई जा चुकी है।
राहुल गांधी की बोलने की बारी आई तो उन्होंने पत्र में उठाए गए मुद्दों पर बात करने की बजाय पत्र लिखने वालों पर हल्ला बोल दिया। कहा कि यह पत्र लिखने का समय गलत था। उस समय राजस्थान का संकट चल रहा था। वे यहीं तक नहीं रुके। अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को कहा आप लोग यह सब भाजपा के इशारे पर कर रहे हैं।
राहुल गांधी के इस बयान के बाद पहली बार कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी पर हमला किया। कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर दिया कि पिछले तीस साल में एक भी बयान भाजपा के पक्ष में नहीं दिया। गुलाम नबी ने कहा कि अगर यह साबित हो जाय तो वे राजनीति छोड़ देंगे।
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