थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे की मौजूदगी में सेना को सौंपा गया
यह मॉड्यूलर पुल मीडियम गर्डर ब्रिज की तुलना में फायदेमंद होंगे
मॉड्यूलर ब्रिज के प्रत्येक सेट में 8×8 हेवी मोबिलिटी वाहनों पर आधारित सात वाहक वाहन और 10×10 हेवी मोबिलिटी वाहनों पर आधारित दो लॉन्चर वाहन शामिल हैं। यह अत्यधिक मोबाइल, पहिएदार और ट्रैक किए गए मशीनीकृत वाहनों के साथ तालमेल रखने में सक्षम है। मॉड्यूलर पुल मैन्युअल रूप से लॉन्च किए गए मीडियम गर्डर ब्रिज (एमजीबी) की जगह लेंगे, जिनका उपयोग इस समय वर्तमान में भारतीय सेना में किया जा रहा है।
मंत्रालय के अनुसार मॉड्यूलर ब्रिज का शामिल होना भारतीय सेना की ब्रिजिंग क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण कदम है। यह उन्नत सैन्य उपकरणों को डिजाइन करने और विकसित करने में भारत के कौशल को उजागर करता है। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इन पुलों के शामिल होने से न केवल भारतीय सेना की परिचालन प्रभावशीलता बढ़ेगी, बल्कि रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भरता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता भी प्रदर्शित होगी।
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जनरल मनोज पांडे ने कोर ऑफ इंजीनियर्स के द्विवार्षिक सम्मेलन की अध्यक्षता की, जिसमें कोर के इंजीनियर-इन-चीफ और वरिष्ठ नेतृत्व ने भाग लिया। सम्मेलन में भविष्य के परिचालन वातावरण को ध्यान में रखते हुए इंजीनियरों की कोर में प्रौद्योगिकी के समावेश के साथ-साथ प्रशिक्षण, परिचालन तत्परता और मानव संसाधन प्रबंधन की समग्र समीक्षा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। (एएमएपी)