सरकार की तरफ से राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने जानकारी दी कि इस साल जून 2023 तक यानी महज 6 महीनों में ही 87 हजार 26 लोग भारत की नागरिकता छोड़ चुके हैं। उन्होंने आंकड़े जारी किए कि 2018 में (1 लाख 34 हजार 561), 2019 में (1 लाख 44 हजार 17), 2020 में (85 हजार 256), 2021 में (1 लाख 63 हजार 370), 2022 में (2 लाख 25 हजार 620) लोग भारत की नागरिकता छोड़ चुके हैं।
साथ ही उन्होंने बताया कि 2011 में (1 लाख 22 हजार 819), 2012 में (1 लाख 20 हजार 923), 2013 में (1 लाख 31 हजार 405), 2014 में (1 लाख 29 हजार 328), 2015 में (1 लाख 31 हजार 489), 2016 में (1 लाख 41 हजार 603) और 2017 में (1 लाख 33 हजार 49) लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी।
क्यों भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं लोग?
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जानकार इसके कई कारण बताते हैं। उनका मानना है कि करियर, जीवन की गुणवत्ता, शिक्षा के बेहतर मौके, बेहतर स्वास्थ्य सेवा, साफ हवा जैसे कई कारण हो सकते हैं। इसके अलावा अन्य कई देशों की तरह भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है। ऐसे में विदेशी नागरिकता हासिल करने वाले भारतीयों को औपचारिक रूप से भारत की नागरिकता छोड़नी पड़ती है। हालांकि, इसके अलावा भी कई वजह गिनाई जाती हैं।

भारत छोड़कर कहां जाना पसंद कर रहे हैं लोग?
भारत छोड़ने के बाद लोगों की पहली पसंद और ठिकाना संयुक्त राष्ट्र अमेरिका (USA) बनता नजर आ रहा है। इसके बाद कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, इटली, न्यूजीलैंड, जर्मनी, सिंगापुर, नीदरलैंड्स और स्वीडन में इन पांच सालों में सबसे ज्यादा भारतीयों की एंट्री दर्ज की गई है। सरकार ने राज्यसभा में इससे जुड़े आंकड़े भी पेश किए हैं।
चीन में भी बस रहे भारतीय
खास बात है कि भारत छोड़ने के बाद नए ठिकाने के तौर पर लोग चीन को भी चुन रहे हैं। इन पांच सालों के दौरान 2 हजार 442 लोगों ने चीन की नागरिकता को चुना है। फिलहाल, वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी LAC पर भारत और चीन के बीच तनाव जारी है। इसके अलावा 2020 से भारत की जनता पाकिस्तान का भी रुख कर रही है। यहां 2020 में 7, 2021 में 41, 2022 में 13 और जून 2023 तक 8 लोग नागरिकता ले चुके हैं। (एएमएपी)



