चीन की सीमा पर उकसावे की रणनीति
भारत, रूस, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, म्यांमार, इंडोनेशिया, फिलीपींस, जापान, मंगोलिया, उत्तर कोरिया, वियतनाम समेत अन्य कई देशों के साथ चीन सीमा साझा करता है। ताइवान में अपना जोर दिखाने के लिए चीन विमानों से घुसपैठ करता है। हांगकांग और मकाऊ में भी अस्थिरता कामय करने के लिए चीन उकसावे का खेल खेलता है। अमेरिका का रक्षा विभाग यानी पेंटागन लगातार कहता रहा है कि चीन उकसावे की रणनीति से सीमा पर अशांति की स्थिति पैदा करता है।
रूस: 162 साल से दोनों देशों की बीच विवाद
रूस के पूर्वी क्षेत्र में कई हेक्टेयर भूमि चीन अपनी बताता है। दोनों देशों के बीच भूमि और द्वीप को लेकर साल 1860 से विवाद चल रहा है। रूस चार अलग-अलग तरह की संधियों में कुल 100 से अधिक द्वीप चीन को सौंप चुका है। इसके बावजूद चीन, रूस में बहने वाली कुछ नदियों के पानी को अपना बताता रहा है। चीन और रूस के बीच दुनिया की छठी सबसे बड़ी सीमा साइनो-रसियन बॉर्डर 4,209 किलोमीटर की है। इस पर दोनों के बीच 22 साल से विवाद है।
इंडोनेशिया: नतुना द्वीप को लेकर दोनों में विवाद
चीन और इंडोनेशिया के बीच नतुना द्वीप को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। इसके अलावा दक्षिणी चीन सागर क्षेत्र में मछली पकड़ने पर भी दोनों में विवाद की स्थिति है। यह क्षेत्र तेल और गैस के लिहाज से महत्वपूर्ण है जहां से इंडोनेशिया हजारों करोड़ का कारोबार करता है। चीन ने वर्ष 2021 में संयुक्त राष्ट्र में कहा था कि इंडोनेशिया से कोई विवाद नहीं है। वहीं, इंडोनेशिया ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि चीन उसके क्षेत्र में लगातार दखल बढ़ा रहा है।
फिलीपींस: अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में हुई चीन की शिकायत
चीन, फिलीपींस के दो द्वीप- स्पार्टली और स्कारबोरोह को अपना बताता रहा है। वहीं, मनिला लगातार दोनों द्वीपों को अपना हिस्सा बताता आ रहा है। चीन द्वारा दोनों द्वीपों को अपना बताने पर फिलीपींस इसकी शिकायत अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कर चुका है। नवंबर 2021 में चीन ने द्वीप पर तैनात दो नावों पर पानी की बौछार कर दी थी। इसके बाद मनिला ने चेतावनी दी थी कि अगर चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो समुद्र में सेना को उतारेगा।
जापान: सीमा विवाद को लेकर छह बार भिड़ंत
चीन, जापान के सेनकाकू, रायकुकु द्वीप को अपने कब्जे में लेने के लिए कई बार कोशिश कर चुका है। जापान के क्षेत्र में स्थित दक्षिणी चीन सागर के कुछ हिस्सों को चीन अपना बताता रहा है, जिसके कारण दोनों देशों में तनातनी की स्थिति रही है। जापान के रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार द्वीप और सीमा विवाद को लेकर अब तक छह बार- वर्ष 1884, 1895, 1972, 2011, 2013 और 2015 में हिंसक झड़प हो चुकी है।
ताइवान: 160 किलोमीटर दूर द्वीप पर चीन की नजर
दक्षिण-पूर्व चीन से ताइवान की दूरी करीब 160 किलोमीटर है। ताइवान पर अमेरिका पूरी तरह मेहरबान है। इसी का नतीजा है कि ड्रैगन उसे आंख दिखाता रहा है। चीन, ताइवान को अपना हिस्सा बताता रहता है। इसके लिए वह ताइवान की सीमा में नियमित समय पर लड़ाकू विमानों की घुसपैठ भी कराता है। ताइवान सरकार के आंकड़ों के अनुसार, चीन के लड़ाकू विमान 150 से अधिक बार उसकी सीमा में प्रवेश कर चुके हैं।
हर विवाद के पीछे चीन की एक रणनीति
बीजिंग में स्थित चीन की एक मुख्य इंटरनेट कंपनी सोहू ने अपने एक लेख में स्पष्ट किया था कि चीन का जिन भी देशों से सीमा विवाद चल रहा है, वो 2050 तक हल हो जाएगा। चीन ने सभी तरह के विवादों का हल पहले से तय कर लिया है। जिस भी द्वीप या सीमा को लेकर उसकी लड़ाई चल रही है उसे हर हाल में कब्जाने की कोशिश करेगा। अधिकतर विवादों का हल उसने जबरदस्ती अपना दखल बढ़ाकर उक्त क्षेत्र को अपने कब्जे में लेने की तैयारी के रूप में तय किया है।
किस देश में कहां कब्जा जमाने की तैयारी में चीन
1. रिपोर्ट में दावा था कि चीन 2025 तक ताइवान पर अपना कब्जा जमा लेगा।
2. फिलीपींस के स्पार्टली द्वीप पर वर्ष 2030 से पहले कब्जा कर लेगा।
3. वर्ष 2050 तक जापान से सेनकाकु द्वीप छीनने का लक्ष्य रखा है।
4. रूस के कब्जे से वर्ष 2050 तक अपनी जमीन वापस लेने का लक्ष्य तय किया है। (एएमएपी)