28 फीट लंबी और पांच टन वजनी है यह रुद्रवीणा।
भोपाल में कबाड़ से जुगाड़ का यह पांचवां बड़ा प्रोजेक्ट है। अयोध्या में 14 टन की भव्य कांस्य वीणा बनी है, लेकिन दावा है कि कबाड़ से भोपाल में दुनिया की सबसे बड़ी वीणा है। ‘कबाड़ से कंचन’ थीम पर पवन देशपांडे और देवेंद्र शाक्य की टीम ने वीणा तैयार की है। आठ कलाकर पिछले छह महीने से डिजाइन, कबाड़ इकट्ठा करने और फिर निर्माण में लगे रहे। दो महीने पहले वीणा बनाई जाना शुरू की। 60 दिन में हर रोज एवरेज 8 घंटे काम किया। आखिरकार कबाड़ की सबसे बड़ी वीणा तैयार हो गई।
पवन देशपांडे ने बताया कि वे और उनकी टीम कबाड़ से रेडियो, गिटार, राजा भोज और कोरोना वैक्सीन बना चुकी है, जो शहर के बोट क्लब, रोशनपुरा चौराहा, आईएसबीटी और सुभाषनगर चौराहे पर स्थापित है। पांचवां प्रोजेक्ट वीणा का रहा। करीब छह महीने पहले जब नए प्रोजेक्ट को लेकर टीम के साथ चर्चा कर रहे थे, तब वीणा तैयार करने का आइडिया आया। साथियों ने रुद्र वीणा बनाने का सुझाव दिया। भारतीय थीम पर काम करना चाहते थे। ताकि, नई पीढ़ी भारतीय संस्कृति के बारे में और ज्यादा जान सके। रुद्र वीणा अपने आपमें अनोखी है। उन्होंने बताया कि इसे जहां स्थापित किया जाएगा, उसके आसपास विद्युत साज-सज्जा की जाएगी और इसमें एक म्यूजिक सिस्टम भी लगाया जाएगा, ताकि लोग वीणा के मधुर संगीत का आनंद ले सकें।
पवन बताते हैं कि ‘कबाड़ से कंचन’थीम पर बनी इस रुद्र वीणा को भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए तैयार किया गया है। रुद्रवीणा हमारी पुरातन संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन नई पीढ़ी इसके बारे में ज्यादा नहीं जानती। इसलिए इस कलाकृति को बनाने का विचार हमारे साथियों ने ही दिया। इसे बनाने में करीब 15 लाख रुपये का खर्च आया है और इसे व्हीकल के स्क्रैप जैसे चेन, गियर, बाल बेयरिंग और तारों से तैयार किया गया है। कलाकारों का दावा है कि रुद्र वीणा की यह कलाकृति विश्व में तैयार अब तक की सबसे बड़ी कलाकृति है।
पवन बताते हैं कि हर प्रोजेक्ट की तरह यह प्रोजेक्ट भी आसान नहीं था। चार महीने तक केवल इसकी तैयारी में ही लग गए। हर प्रोजेक्ट में डिजाइन सबसे मुश्किल काम होता है। इसमें इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि स्क्रैप से तैयार कलाकृति वास्तविक ही लगे। इस कारण लोहे के हर छोटे से छोटे टुकड़े को लगाने से पहले खास ध्यान रखा जाता है कि कहीं इसके कारण कलाकृति का आकार न बिगड़ जाए। शालिनी देशपांडे, गजेंद्र शाक्य, सैयद फारूख, गुलफाम कुरैशी, गजेंद्र शाक्य, संतोष मुआसी, फैजान कुरैशी, फरहान अंसारी और अरविंद हर सहित अन्य कलाकारों ने प्रतिदिन आठ घंटे मेहनत कर इसे तैयार किया है।
पवन बताते हैं कि उनकी टीम ने सबसे पहले कबाड़ से रेडियो तैयार किया था। हालांकि यह प्रोजेक्ट किसी निजी कंपनी के साथ मिलकर किया था। पुरानी वस्तुओं से कलाकृति बनाने का यह तरीका निगम अधिकारियों को इतना पसंद आया कि कई अन्य कलाकृतियों को भी तैयार करने का अवसर दिया गया। इस दौरान सभी कलाकारों ने कड़ी मेहनत कर हर प्रोजेक्ट को पूरा किया है। (एएमएपी)