जनवरी के दूसरे सप्ताह तक कूनो नदी में छोड़े जायेंगे 50 घड़ियाल।

चंबल के घड़ियाल अब कूनो नदी में भी पर्यटकों को आकर्षित करेंगे। श्योपुर जिला के कूनो अभ्यारण्य को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात करने के लिये तैयारियां की जा रहीं हैं। मुरैना जिले के देवरी घड़ियाल अभ्यारण केंद्र से 50 घड़ियाल कूनो नदी में विचरण के लिए जनवरी के दूसरे सप्ताह तक छोड़ दिए जाएंगे।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अति महत्वाकांक्षी चीता परियोजना को विस्तारित करने के लिये शीघ्र ही अफ्रीका से दो चरण में 20 चीते लाये जा रहे हैं। इसी के साथ कूनो नदी को घड़ियालों का प्राकृतिक आवास बनाने की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। विलुप्त प्राय भारतीय जलीय जीव घड़ियाल के संरक्षण व संवर्धन का कार्य मुरैना जिले के देवरी घड़ियाल केंद्र पर चार दशक से किया जा रहा है। वर्ष 1975 से 1977 के मध्य विश्वव्यापी सर्वे के दौरान सबसे अधिक घड़ियाल 46 चंबल में ही पाए गए थे। चंबल नदी के 435 किलोमीटर क्षेत्र को वर्ष 1980 में घड़ियाल अभ्यारण्य घोषित किया गया था।

इस वर्ष 2022 की हुई जलीय जीव गणना में चंबल नदी के विभिन्न घाटों पर कुल 2176 घड़ियाल पाए गए। जलीय जीव संरक्षण के क्षेत्र में देश की अनेक नदियों में घड़ियाल की मांग बढ़ती जा रही है। बीते वर्ष पंजाब की बड़ी नदियों के लिए 100 घड़ियाल देवरी केंद्र से भेजे गए थे। नदी के बहते शुद्ध जल में घड़ियाल अपने परिवार की वृद्धि करते हैं। भारत सरकार व पर्यावरणविदों का मानना है कि नदी में घड़ियाल के रहने से जल में और शुद्धता हो जाती हैं।

चंबल घड़ियाल अभ्यारण्य क्षेत्र से नदी के विभिन्न घाटों पर प्रतिवर्ष 200 अंडे एकत्रित कर मार्च-अप्रैल माह में देवरी केंद्र पर लाए जाते हैं। इनमें अप्रैल के अंत से मई माह के मध्य तक आवाज आना शुरू हो जाती है, जिसे क्रोक कहते हैं। इसके बाद इन अण्डों से हेचिंग कराई जाती हैं। लगभग तीन वर्ष तक देवरी घड़ियाल केन्द्र पर ही नन्हें घड़ियाल शावकों का संरक्षण व संवर्धन किया जाता है। घड़ियाल की लंबाई 1 मीटर 20 सेंटीमीटर होने पर ही नदी में वितरण के लिए स्वतंत्र किया जाता है।

प्राकृतिक वातावरण में इनकी जीवन दर 2 प्रतिशत तथा कृत्रिम वातावरण में इनकी जीवन दर 50 प्रतिशत मानी जाती है। घड़ियाल के संरक्षण व संवर्धन में एशिया महाद्वीप की प्रदूषण मुक्त चंबल नदी का विशेष योगदान है। प्रदूषण युक्त पानी में घड़ियाल अपना जीवन यापन नहीं कर सकता। घड़ियाल की उपस्थिति के कारण ही चंबल को प्रदूषण मुक्त माना गया है। इन घड़ियालों के नदी में छोडे जाने पर घड़ियालों की संख्या 2306 हो जायेगी। (एएमएपी)