नेपाल में फिर उलटफेर हुआ है। पांच दलों की गठबंधन सरकार से माओइस्ट सेंटर के नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड ने रविवार को नाता तोड़ लिया। इसके बाद उन्होंने अन्य दलों के साथ गठबंधन का दावा पेश कर दिया, जिसे राष्ट्रपति ने मंजूर कर उन्हें पीएम मनोनीत कर दिया था। वहीं, चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बन उभरी नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा का पीएम पद हाथ से चला गया। निवर्तमान पीएम देउबा ने प्रचंड को बधाई दी है।68 साल के प्रचंड को राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने पीएम नियुक्त किया है। प्रचंड ने कल नाटकीय ढंग से देउबा के नेतृत्व वाली पांच दलों की गठबंधन सरकार से नाटकीय ढंग से नाता तोड़ लिया था। दरअसल वे देउबा से पहले पीएम बनना चाहते थे। साथ ही दोनों दलों के बीच ढाई ढाई साल के पीएम पद को लेकर भी सहमति नहीं बन पा रही थी।

माओवादी केंद्र के सचिव गणेश शाह ने कहा कि देउबा ने सोमवार सुबह माओवादी कार्यालय की बैठक के दौरान फोन पर प्रचंड को बधाई दी। माय रिपब्लिका वेबसाइट के अनुसार शाह ने कहा कि नेपाली कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी प्रचंड को बधाई दी।

पीएम मोदी और चीन ने भी दी प्रचंड को बधाई

पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रचंड को बधाई दी। मोदी ने ट्वीट किया, ‘नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाने पर हार्दिक बधाई। भारत और नेपाल के बीच अद्वितीय संबंध गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव और लोगों से लोगों के बीच संबंधों पर आधारित है। मैं इस दोस्ती को और मजबूत करने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने की आशा करता हूं।’ चीन ने भी प्रचंड को नेपाल का 44वां प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाने पर बधाई दी है। काठमांडू में चीन के दूतावास के प्रवक्ता ने रविवार शाम प्रचंड की नए प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति के तुरंत बाद ट्वीट कर कहा, ‘नेपाल के 44 वें प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति पर पुष्प कमल दहल प्रचंड को हार्दिक बधाई।’

कल तक आलोचक थे, आज हमसफर

प्रचंड और सीपीएन-यूएमएल अध्यक्ष तथा पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली शनिवार तक एक-दूसरे के घोर आलोचक रहे थे, लेकिन रविवार को उन्होंने सत्ता में साझेदारी का समझौता कर सबको चौंका दिया। प्रचंड ने पहले देउबा के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस के गठबंधन में रहने का संकल्प लिया था। माना गया था कि देउबा का गठबंधन जारी रहेगा और वह नई सरकार बनाएगा, लेकिन रविवार को प्रचंड ने देउबा के धड़े का साथ छोड़ दिया।  (एएमएपी)