ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। नवग्रहों में शनिदेव को न्याय देवता व न्यायाधीश कहा गया है। शनि की स्थिति व दृष्टि हर जातक के लिए काफी महत्वपूर्ण रखती है। किसी भी जातक के भविष्यफल के आंकलन में शनि की स्थिति का प्रभाव जरूर देखा जाता है। शनि जिस जातक की जन्मकुंडली में शुभ भाव में होते हैं, उसे आशातीत सफलता प्रदान करते हैं। जिस जातक की जन्मकुंडली में शनि का स्थान शुभ नहीं होता है, उसे अपार कष्ट पहुंचाते हैं। शनि सबसे धीमी गति के ग्रह माने गए हैं। शनि एक राशि में करीब ढाई साल तक रहते हैं।शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में शनि सुख-दुख के स्वामी माने गए हैं। शनि के शुभ होने पर जातक को खुशियां और अशुभ होने पर दुख की प्राप्ति होती है। शुभ शनि अपनी साढ़ेसाती व ढैय्या में जातक को आशातीत सफलता प्रदान करते हैं। वहीं अशुभ शनि अपनी साढ़ेसाती व ढैय्या के दौरान जातक को अपार कष्ट पहुंचाते हैं।

इन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या का प्रभाव

साल 2023 में मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण रहेगा। कुंभ राशि वालों पर दूसरा और मीन राशि वालों पर पहला चरण शुरू होगा। कर्क व वृश्चिक राशि वालों पर शनि ढैय्या 17 जनवरी 2023 से प्रारंभ होगी। 17 जनवरी को शनि कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। शनि गोचर के साथ ही तुला व मिथुन राशि वालों को शनि ढैय्या से राहत मिलेगी। धनु राशि वालों से शनि की साढ़ेसाती हट जाएगी।

शनि प्रकोप से बचाव के उपाय

1. शनिवार को शनिदेव मंदिर में जाकर शनिदेव के दर्शन करें।
2. शनिवार के दिन लोहे की कटोरी में तेल भरकर उसमें अपना मुख देखकर उसे तेल को कटोरी सहित दान करें।
3. हर दिन पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं।
4. साढ़ेसाती व ढैय्या से पीड़ित जातक काले वस्त्र धारण न करें।
5. हर दिन दशरथकृत शनि स्त्रोत का पाठ करें। (एएमएपी)