मेला क्षेत्र में सजने लगीं यज्ञशालाएं, मकर संक्रांति से बढ़ेगा आस्था का सैलाब।

तीर्थराज प्रयाग में संगम की रेती पर कोरोना महामारी के चलते दो साल बाद रौनक लौट आई है। तंबुओं का नगर बस गया है। माघ मेला क्षेत्र में वेद मंत्र एक बार फिर गुंजने लगे हैं। कल्पवासियों ने आस्था की अखंड ज्योति जलाते हुए अपने अनुष्ठान प्रारम्भ कर दिये हैं।पौष पूर्णिमा स्नान के साथ मास पर्यंत चलने वाले माघ मेले की औपचारिक शुरुआत हो चुकी है। हालांकि तैयारियां अभी भी जारी हैं। कुछ सेक्टर में शौचालय व अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं के कार्य चल रहे हैं। संतों के शिविरों में यज्ञशालाएं सजने लगी हैं। बड़े धर्माचार्यों के भी आने का इंतजार है। उम्मीद है कि 14-15 जनवरी यानि मकर संक्रांति से माघ मेले में आस्था का सैलाब बढ़ जाएगा, जो मौनी अमावस्या के अवसर पर 21 जनवरी को उफान पर होगा।

कोरोना काल में मेले के बड़े आयोजनों पर लगे थे प्रतिबंध

वर्ष 2021 और 2022 में कोविड के कारण पूरी दुनिया भयाक्रान्त थी। हालांकि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कल्पवासियों के संकल्प को ध्यान में रखते हुए दोनों साल माघ मेले के आयोजन की छूट दे दी थी। शिविर लगे थे, कल्पवासी भी आये थे लेकिन रंगत अलग थी। श्रद्धालुओं को केवल स्नान और भजन तक ही सीमित रखा गया था। बड़े अनुष्ठान और आयोजन प्रतिबंधित थे, पूरे मेला क्षेत्र में कहीं भी यज्ञ, प्रवचन और रासलीला जैसे बड़े आयोजन नहीं हुए। इस बार स्थिति अलग है। कोरोना का भय लगभग समाप्त हो चुका है। ऐसे में मेला क्षेत्र में दो साल के अंतराल के बाद फिर से धार्मिेक और सांस्कृृतिक आयोजनों के मंच सजने लगे हैं।

700 हेक्टेयर में बसा है माघ मेला

मेला अधिकारी अरविंद सिंह चौहान के मुताबिक इस बार माघ मेला लगभग 700 हेक्टेयर में बसाया गया है। पूरा मेला क्षेत्र छह सेक्टर में बंटा है। हर सेक्टर में एक सेक्टर मजिस्ट्रेट के साथ एक डिप्टी एसपी की भी तैनाती की गई है। पूरे मेला क्षेत्र में 10 सुविधा केंद्र बनाए गए हैं। स्नानार्थियों की सुविधा के लिए संगम क्षेत्र में और गंगा के किनारे कुल 14 स्नान घाट बनाये गये हैं। ठंड से बचाव के लिये जगह-जगह अलाव की भी व्यवस्था है।

उन्होंने बताया कि माघ मेला क्षेत्र में 500 बेड की डॉरमेट्री भी बनाई गई है ताकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को ठंड में कोई परेशानी न हो। साधु-संतों को ऑनलाइन सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। माघ मेले में पहली बार कुंभ मेले की तर्ज पर अरैल क्षेत्र में एक टेंट सिटी बसाई गई है। पीडब्ल्यूडी की ओर से आवागमन के लिए लगभग 150 किलोमीटर चकर्ड प्लेट की सड़कें बनाई हैं। आवागमन के लिए पांच पांटून ब्रिज भी बनाए गए हैं। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से 11,000 संस्थागत और 4,000 व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण किया गया है।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

माघ मेला के पुलिस अधीक्षक राजीव नारायण मिश्र बताते हैं कि मेले की सुरक्षा के लिए करीब पांच हजार पुलिस फोर्स तैनात की गई है। माघ मेले में 14 थाने, 38 पुलिस चौकियां और 15 फायर स्टेशन बनाए गए हैं। संगम क्षेत्र में एटीएस और एसटीएफ के कमांडो तैनात हैं। पूरे मेला क्षेत्र की सुरक्षा के लिए ड्रोन कैमरे से भी निगरानी की जा रही है। इसके साथ ही मेले में जगह-जगह सिविल ड्रेस में भी पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।

आतंकवादी गतिविधियों के मद्देनजर मेला क्षेत्र के मुख्य स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं। पुलिस बल के अलावा मेला क्षेत्र में पीएसी और रैपिड एक्शन फोर्स की भी कई कंपनियां लगाई गयी हैं। प्रमुख स्नान पर्वों पर एक दिन पहले ही मेला क्षेत्र में यातायात प्रतिबंधित कर दिया जाता है। भीड़ नियंत्रण के लिए कंट्रोल रूम को अत्याधुनिक रूप दिया गया है।

महाकुंभ का रिहर्सल है इस बार का माघ मेला

तीर्थराज प्रयाग में वर्ष 2025 में महाकुंभ का योग है। ऐसे में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस साल के माघ मेले का आयोजन महाकुंभ के रिहर्सल के रूप में मनाने का निर्देश दिया है। इसके मद्देनजर शासन ने इस बार के माघ मेले में अनुभवी और वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती की है।

ये हैं मुख्य स्नान पर्व

मकर संक्रांति – 14 और 15 जनवरी को
मौनी अमावस्या – 21 जनवरी को
बसंत पंचमी – 26 जनवरी को
माघी पूर्णिमा – 05 फरवरी को
महाशिवरात्रि का स्नान – 18 फरवरी को (एएमएपी)