दूर-दराज के क्षेत्रों तक बनी स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच
दरअसल, उक्त बातें जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कोरोना महामारी के प्रसार के दौरान जान गंवाने वाले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के प्रत्येक मृत कर्मचारी के परिजनों को 10-10 लाख रुपये की सहायता राशि का चेक सौंपते हुए कही हैं । वे कहते हैं कि “गुणवत्तापूर्ण और सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने की हमारी यात्रा में, हमने अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावी, जन-केंद्रित और न्यायसंगत बनाने का विशेष ध्यान रखा है।” उन्होंने कहा कि बेहतर स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के विस्तृत नेटवर्क, एमबीबीएस सीटों में पर्याप्त वृद्धि, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज, एम्बुलेंस सेवाओं, मोबाइल क्लीनिकों के अलावा चिकित्सा सुविधाओं के विकेंद्रीकरण ने दूरस्थ और दूर-दराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार सुनिश्चित किया है।
मेडिकल रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण
वे कहते हैं कि जिस निस्वार्थ सेवा, त्याग और करुणा की भावना से हमारे स्वास्थ्य कर्मियों, डॉक्टरों और पैरा-मेडिक्स ने कोविड महामारी और टीकाकरण अभियान के दौरान लोगों की सेवा की है, वास्तव में प्रेरणादायक है। जम्मू-कश्मीर में कोई भी उपचार, कहीं भी, कभी भी की व्यवस्था को लागू करने के लिए कई सुधार किए गए। ‘ई-सहज’ पहल में डॉक्टरों से ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट और मरीज के मेडिकल रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण शामिल है। इस पहल के तहत 575 स्वास्थ्य सुविधाओं को शामिल किया गया है।
राज्य में इलाज पर हो रहे प्रतिदिन दो करोड़ रुपये खर्च
जम्मू-कश्मीर कंट्रीब्यूटरी कॉर्पस फंड की हुई शुरुआत
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा के प्रशासनिक सचिव भूपिंदर कुमार का यहां कहना रहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने उपराज्यपाल के निर्देशों के तहत जम्मू-कश्मीर कंट्रीब्यूटरी कॉर्पस फंड की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा कि एनएचएम कर्मचारियों को विकलांगता या मृत्यु के कारण वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। मृतक एनएचएम कर्मचारियों के कुल 34 परिवारों को 10-10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान की गई है। (एएमएपी)