फिल्ममेकर लीना मणिमेकलाई की सोशल मीडिया पर नूपुर से हो रही तुलना।
मां काली को सिगरेट पीते दिखाने पर हुआ था देश भर में फिल्ममेकर का विरोध
उल्लेखनीय है कि देश के मुख्य न्यायाधीश डीवी चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने उनके खिलाफ दर्ज सभी मामलों में गिरफ्तारी पर भी रोक लगा दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को फिल्मकार लीना मणिमेकलाई को उनके विवादित पोस्टर में हिंदू देवी काली को सिगरेट पीते हुए दिखाने पर देश के कई राज्यों में विरोध में दर्ज प्राथमिकियों के मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है ।
इस मामले में मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा था कि इस स्तर पर, पहली नजर में ऐसा प्रतीत होता है कि कई राज्यों में एफआईआर दर्ज करने से मणिमेकलाई के लिए गंभीर पूर्वाग्रह पैदा हो सकता है। इस प्रकार, सभी एफआईआर कानून के अनुसार, एक स्थान पर समेकित करने की याचिका पर राज्यों को नोटिस जारी किया।
नूपुर शर्मा के आए निर्णय से हो रही कुछ इस तरह तुलना
इस निर्णय के आते ही लोग बड़ी अजीव बातें करते नजर आ रहे हैं। किसी ने लिखा कि नूपुर शर्मा ने किताब का दिया हवाला, पर एक को सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा, लीना ने माँ काली को सिगरेट पीते दिखाया पर दूसरे की गिरफ्तारी से रोका। सोशल मीडिया ट्वीटर पर रितु राठौर ने लिखा सीजेआई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में भारत के उच्चतम न्यायालय ने हिंदू विरोधी फिल्म निर्माता लीना मणि मेकलाई को गिरफ्तारी से सुरक्षा दी, एक निंदनीय कृत्य में उसने हिंदू देवी काली को बहुत ही अपमानजनक तरीके से दिखाया था। मुझे लगता है कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में, कोई भी मुख्य न्यायाधीश इस तरह हिंदू विरोधी नहीं रहा है।
लीना मणिमेक्कलई आप सुरक्षित हैं क्योंकि आपने हिंदू देवी का अपमान किया है
श्रुति गुप्ता लिखती हैं कि नूपुर शर्मा पर आपकी जुबान ढीली है क्योंकि आपने तथ्यों को उद्धृत किया है पर लीना मणिमेक्कलई आप सुरक्षित हैं क्योंकि आपने हिंदू देवी का अपमान किया है। रामत्यागी ने लिखा-सीलेआई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट इंडिया ने हिंदू विरोधी फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलाई को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया है ।लीना मणिमेकली ट्रांसफर के लिए एससी पहुंची। सीजेआई के नेतृत्व वाले सुप्रीम कोर्ट ने सभी कार्यवाही पर रोक लगा दी, राज्यों को नोटिस जारी किया और कहा-हमने आपकी रक्षा की है। खैर, क्या इसलिए कि लीना के पोस्टर ने “देश में आग नहीं लगाई।
क्या भारत छोड़ने का समय आ गया है
वहीं, संजीव चड्डा ने सभी के बीच एक गंभीर प्रश्न खड़ा किया है। उन्होंने लिखा, क्या भारत छोड़ने का समय आ गया है। क्यों क्योंकि आज हम दो तरह के जजमेंट देख रहे हैं। आप दूसरों को क्या कहते हैं और आपको अपमान और धमकी मिलती है सर तन से जुदा और फिर?
सशांक शेखर झा ने व्यंग्यात्मक रूप से लिखा है कि एमपी, यूपी, यूके और दिल्ली में हिंदुओं ने एफआईआर दर्ज कराई। ऐसा ही व्यंग्य ऑप्टीमिस्ट सर्जन नाम की आइडी से आया है। यहां इन्होंने लिखा है कि दूसरों के बारे में तो नहीं पता लेकिन मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर किसी दिन सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वह लीना मणिमेकलाई जैसे निर्देशकों को हिंदू धर्म का उपहास करने वाली और फिल्में बनाने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन दे। मिलोड कुछ भी करने में सक्षम हैं !!
निर्णय असाधारण, फिल्म ‘काली’ एक समावेशी अर्थ में देवी को चित्रित करना चाहती है
चीनू राओ का कहना है कि इस पर 10% हिंदू प्रतिक्रिया देना शुरू कर देते हैं, तो शायद सुप्रीम कोर्ट में एक अशिष्ट जागृति होगी। वहीं, वासिक नाम के सोशल मीडिया यूजर ने इस निर्णय को असाधारण करार दिया। उसने लिखा है कि ”यह असाधारण है, फिल्म ‘काली’ एक समावेशी अर्थ में देवी को चित्रित करना चाहती है। लीना मणिमेकलाई के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने का आदेश देते हुए एससी रिकॉर्ड।
ज्यादातर लोग न्यायालय के इस निर्णय को एक तरफा मान रहे
नितीश शेखावत का कहना है कि एससी फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलाई को एफआईआर के संबंध में जबरदस्ती कार्रवाई से बचाता है । अदालत ने दर्ज किया कि पोस्टर धार्मिक भावनाओं का अपमान करने के लिए नहीं था, बल्कि प्रकृति में समावेशी था। इस बीच ज्यादातर लोग न्यायालय के इस निर्णय को एक तरफा मान रहे हैं। इन सभी का यही कहना है कि जिस तरह से नुपुर शर्मा के एक छोटे से बयान पर उच्चतम न्यायालय की तल्खी थी, वह यहां नदारद दिखी है, जो कहीं न कहीं कई सवाल खड़े करती है। (एएमएपी)