ऐसा सौंदर्य जिसे अभी किसी ने छुआ नहीं
आपका अखबार ब्यूरो ।
प्रकृति का अछूता सौंदर्य और जनजातीय संस्कृति व सभ्यता की धरोहरें अगर आप मूल रूप में देखना चाहते हैं तो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की सैर पर निकलें। असम, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड, अरुणाचल, त्रिपुरा और सिक्किम कुल आठ राज्यों वाला यह क्षेत्र तरह-तरह के जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों के अलावा लोक संस्कृति तथा कलाओं से भरपूर है।
सौ से अधिक जनजातियां व उपजातियां इस क्षेत्र में हैं। निर्धारित दरों पर पर्यटकों के लिए रहने, खाने-पीने, वाहनों तथा परमिट का प्रबंध है। अगर आप किसी पर्यटन एजेंसी के द्वारा यात्रा करते हैं तो यह आपको बजट में भी पड़ती है और वे आपको जनजातियों के बीच भी ले जाते हैं। अगर आपको अंग्रेजी, हिंदी, असमी में से कोई भी भाषा आती है तो पूरे पूर्वोत्तर प्रवास में आपका काम चल जाएगा।
पूर्वोत्तर राज्यों का प्रवेशद्वार
पूर्वोत्तर दिशा में भारत का प्रहरी असम उत्तर दिशा में भूटान और अरुणाचल प्रदेश, पूर्व दिशा में मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश और दक्षिणी दिशा में मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा से घिरा हुआ है। यह एक सरहदी राज्य है। भारत-भूटान और भारत-बांग्लादेश सरहद कुछ हिस्सों में असम से जुड़ी है। तिब्बत से असम में बहकर आती विशाल ब्रह्मपुत्र नदी इस राज्य की खूबसूरती को चार चांद लगाती है। यहां पर कपिली नदी भी बहती है। असम पूर्वोत्तर राज्यों का प्रवेशद्वार भी है।
12वीं शताब्दी ईस्वी तक कामरूप था नाम
विद्वानों का मत है कि असम शब्द संस्कृत के असोमा शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है अनुपम या अद्वितीय। किन्तु अधिकतर विद्वानों का मानना है कि यह शब्द मूल रूप से अहोम से बना है। प्राचीन समय में यह राज्य प्राग्ज्योतिष अर्थात पूर्वी ज्योतिष का स्थान कहलाता था। कालान्तर में इसका नाम कामरूप पड़ गया। कामरूप राज्य का सबसे पुराना उदाहरण इलाहाबाद में समुद्रगुप्त के शिलालेख से मिलता है। इस शिलालेख में कामरूप का विवरण ऐसे सीमावर्ती देश के रूप में मिलता है, जो गुप्त साम्राज्य के अधीन था और गुप्त साम्राज्य के साथ इस राज्य के मैत्रीपूर्ण संबंध थे। चीन के विद्वान यात्री ह्वेनसांग लगभग 743 ईस्वी में राजा कुमारभास्कर वर्मन के निमंत्रण पर कामरूप में आया था। ह्वेनसांग ने कामरूप का उल्लेख कामोलुपा के रूप में किया है। 11वीं शताब्दी के अरब इतिहासकार अलबरूनी की पुस्तक में भी कामरूप का विवरण प्राप्त होता है।
इस प्रकार प्राचीन काल से लेकर 12वीं शताब्दी ईस्वी तक समस्त आर्यावर्त में पूर्वी सीमांत देश को प्राग्ज्योतिष और कामरूप के नाम से जाना जाता था और यहाँ के नरेश स्वयं को प्राग्ज्योतिष नरेश कहलाया करते थे। सना 1228 में पूर्वी पहाड़ियों पर अहोम लोगों के आने से इतिहास में मोड़ आया। उन्होंने लगभग छह सौ वर्षों तक असम राज्य पर शासन किया। 1819 में बदनचन्द्र की हत्या के बाद सन 1826 में यह राज्य ब्रिटिश सरकार के अधिकार में आ गया। इस समय बर्मी लोगों ने यंडाबू संधि को मानकर असम को ब्रिटिश सरकार को सौंप दिया था।
वन्य जीवन की समृद्धता
गुवाहाटी असम की राजधानी है। हजारों पर्यटक घूमने आते हैं। इनमें प्रसिद्ध शक्तिपीठ माता कामाख्या मंदिर के अलावा प्राचीन शिव मंदिर उमानंद, ब्रह्मापुत्र नदी, नवग्रह मंदिर, बालाजी मंदिर, विज्ञान संग्रहालय एवं गुनाहाटी विश्वविद्यालय देख जा सकते हैं। नई दिल्ली, कोलकाता, मुंबई व चेन्नई से गुवाहाटी के लिए नियमित उड़ानें हैं। देश के सभी प्रमुख शहरों से गुवाहाटी के लिए रेलसेवाएं हैं। असम की प्रमुख जगहें राष्ट्रीय राजमार्गो तथा अन्य मार्गो से जुड़ी हैं।
कामाख्या मंदिर
यह तांत्रिक बौद्ध धर्म का केंद्र है। पौराणिक कथा है कि जब भगवान शिव, पार्वती के शव को ढो रहे थे तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से पार्वती के शव के कई टुकड़े कर दिए। कथा के अनुसार तब पार्वती की योनि यहीं गिरी थी, इसलिए यह सारे शक्तिपीठों में सबसे पवित्र माना जाता है।
हाफलोंग
यह एक सुंदर हिल स्टेशन है जहां से पूरा इंद्रधनुष देख सकते हैं। प्रवासी पक्षियों की सामूहिक आत्महत्या की विचित्र घटना के लिए जाना जाने वाला जतिंगा हाफलोंग से मात्र 9 किमी दूर है।
सिबसागर
इस ऐतिहासिक शहर के केंद्र में 200 साल पुराना सिबसागर टैंक है। यहां के तीन मंदिरों में से एक शिवडोल मंदिर भारत का सबसे उंचा शिव मंदिर है।
माजुली द्वीप
ब्रह्मपुत्र नदी के बीच में स्थित माजुली द्वीप विश्व में किसी भी नदी पर स्थित सबसे लंबा द्वीप है। माजुली में 15 से ज्यादा वैष्णव मठ या सत्र स्थित हैं।
वन्य जीवन की समृद्धता के कारण असम में बहुत से पर्यटक आते हैं। अफ्रीका को छोड़कर विश्व के किसी और भाग में इतनी तरह का वन्य जीवन नहीं है।