भारत में उच्च शिक्षा में ड्रापआउट का आंकड़ा धीरे-धीरे कम हो रहा है। उच्च शिक्षा में 4.14 करोड़ से अधिक छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इसमें से दो करोड़ से अधिक छात्राएं शामिल हैं। वर्ष 2014 के मुकाबले सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में 21 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। वहीं, 18 से 23 आयु वर्ग का जीईआर 27.3 फीसदी पहुंच गया है। यह खुलासा शिक्षा मंत्रालय की रविवार देर शाम जारी अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) 2020-21 की रिपोर्ट में हुआ है। सभी सामाजिक समूहों के जीईआर में सुधार हुआ है।शिक्षा मंत्रालय उच्च शिक्षा का अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2011 से करा रहा है जिसके दायरे में देश के उच्च शिक्षण संस्थान आते हैं। सर्वेक्षण विभिन्न मापदंडों पर विस्तृत जानकारी एकत्र करता है जैसे छात्र नामांकन, शिक्षकों का डाटा, बुनियादी ढांचा संबंधी जानकारी, वित्तीय जानकारी आदि। एआईएसएचई 2020-21 में पहली बार, उच्च शिक्षा संस्थानों ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) की मदद से उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विकसित वेब डेटा कैप्चर फॉर्मेट (डीसीएफ) के माध्यम से पूरी तरह ऑनलाइन डेटा संग्रह प्लेटफार्म का उपयोग करके रिपोर्ट तैयार हुई है।

खास बात यह है कि सबसे अधिक एसटी वर्ग में छात्राओं की संख्या 63.4 फीसदी तक पहुंच गयी है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडू़, मध्य प्रदेश, कनार्टक, राजस्थान बेहतर प्रदर्शन के कारण शीर्ष 6 की श्रेणी में शामिल हो गए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में उच्च शिक्षा में छात्रों के नामांकन में बढ़ोतरी करवाना सबसे प्रमुख योजना है, ताकि 12वीं के बाद छात्रों की पढ़ाई आगे जारी रहे सकें। इसके लिए विभिन्न योजनाओं पर काम किया जा रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, उच्च शिक्षा में नामांकन बढ़कर 4.14 करोड़ पहु़ंच गयी है। पहली बार चार करोड़ का आंकड़ा पार किया है। जबकि वर्ष 2019-20 के मुकाबले 7.5 फीसदी (3 करोड़ 85 लाख) और वर्ष और वर्ष 2014-15 के मुकाबले 21 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी है। बेटियां की संख्या में भी बढ़ोतरी हुर्ख है। इस प्रकार बेटियों का नामांकन दो करोड़ पार कर गया है। वर्ष 2019 के मुकाबले 13 लाख से अधिक छात्राओं ने उच्च शिक्षा में दाखिला लिया है।

सभी सामाजिक समूहों के छात्रों के आंकड़े में बढ़ोतरी

रिपोर्ट के मुताबिक, एससी वर्ग में छात्रों के नामांकन में 2014 के मुकाबले 28 फीसदी तो छात्राओं की संख्या में 38 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। नामांकन वर्ष 2019 में 56.57 लाख से बढ़कर 58.95 लाख पहुंच गया है। वहीं, एसटी वर्ग के कुल नामांकन 2014 के मुकाबले 47 फीसदी तो छात्राओं के आंकड़े में 63.4 फीसदी तक वृद्धि हुई है। वर्ष 2019 में एसटी छात्रों के जीईआर में 1.9 फीसदी का उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ऐसे ही 2019 के मुकाबले ओबीसी वर्ग के छात्रों की संख्या 6 लाख की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग में बढ़ोतरी रिकार्ड हुई है। सबसे अधिक एसटी वर्ग में छात्राओं का आंकड़ा 63.4 % पहुंचा है।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग मोड यानी दूरस्थ शिक्षा में भी छात्रों का भरोसा बढ़ रहा है। 2019 के मुकाबले 2020 के नामांकन दर में 7% की बढ़ोतरी हुई है।
  • 70 नए विश्वविद्यालय तो कॉलेजों की संख्या में 1,453 की बढ़ोतरी हुई है।
  • लैंगिक समानता सूचकांक (जीपीआई) 2017-18 में 1 से बढ़कर 2020-21 में 1.05 हो गया है।
  • उच्च शिक्षण संस्थानों को 47,914 नए शिक्षक मिले हैं।
  • 79 06% छात्र स्नातक और 11.5 फीसदी स्नातकोत्तर प्रोग्राम की पढ़ाई कर रहे हैं। सबसे अधिक ऑर्ट्स 33.5 फीसदी, विज्ञान में 15.5 फीसदी, वाणिज्य में 13.9, इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी में 11.9 फीसदी छात्र पढ़ रहे हैं।
  • स्नातकोत्तर में सबसे अधिक छात्र सामाजिक विज्ञान में 20.56 फीसदी तो विज्ञान में 14.83 फीसदी है।

शिक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि रक्षा, संस्कृत, जैव प्रौद्योगिकी, फोरेंसिक, डिजाइन, खेल आदि से संबंधित विशेष विश्वविद्यालयों में 2014-15 की तुलना में 2020-21 में नामांकन में वृद्धि हुई है। 2020-21 में पास होने वालों की कुल संख्या बढ़कर 95.4 लाख हो गई है, जो 2019-20 में 94 लाख थी। (एएमएपी)