दिल्ली में हुए कथित शराब घोटाले की वजह से आम आदमी पार्टी (आप) की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आरोपी बनाए जाने से किरकिरी हुई तो अब आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की चार्जशीट में आ गया है। ‘आप’ के कई नेता और मंत्री भ्रष्टाचार के आरोपों में घिर चुके हैं, लेकिन यह पहला मौका है जब करप्शन के किसी केस में खुद केजरीवाल का नाम सीधे तौर पर लिया गया है। खुद को ‘कट्टर ईमानदार’ कहने वाली पार्टी के लिए इसे बड़ा संकट माना जा रहा है। राजनीतिक जानकार इसे ‘आप’ की सबसे बड़ी ताकत पर चोट मान रहे हैं।

दरअसल, शराब घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय एजेंसी ईडी ने कोर्ट में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की है। ईडी ने इसमें कई सनसनीखेज दावे किए हैं। जांच एजेंसी का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शराब घोटाले के आरोपियों से मिलीभगत थी। आरोप है कि केजरीवाल ने शराब कंपनी के मालिक और आरोपियों में से एक समीर महेंद्रू से बातचीत की थी और विजय नायर को अपना आदमी बताते हुए उस पर भरोसा करने को कहा था। ‘आप’ से जुड़े विजय नायर भी घोटाले में आरोपी हैं। ईडी ने आरोपियों से पूछताछ के आधार पर कहा है कि नायर ने फेसटाइम ऐप के जरिए केजरीवाल की बात समीर महेंद्रू से करवाई थी।

ईडी ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल के सहयोगी विजय नायर ने ‘आप’ नेताओं की ओर से 100 करोड़ रुपए रिश्वत स्वीकार की। आप पदाधिकारियों, मंत्रियों और उनके सहयोगियों ने इन रुपयों का इस्तेमाल किया। जांच एजेंसी ने दावा किया है कि गोवा विधानसभा चुनाव में भी रकम का इस्तेमाल किया गया। ईडी के मुताबिक, मनीष सिसोदिया के सेक्रेटरी रहे सी अरविंद ने बताया कि निजी कंपनियों को होलसेल कारोबार देने या 12 फीसदी प्रॉफिट मार्जिन को लेकर मंत्रिमंडल बैठक में चर्चा नहीं हुई थी। उन्हें मार्च 2021 में ड्राफ्ट जीओएम रिपोर्ट दी गई जब उन्हें सिसोदिया ने केजरीवाल के आवास पर बुलाया जहां सत्येंद्र जैन भी मौजूद थे।

क्यों “आप” के लिए सबसे बड़ा संकट?

शराब घोटाले को लेकर पहले से ही सवालों का सामना कर रही ‘आप’ को ईडी की चार्जशीट के बाद नई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। करीब एक दशक पहले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से पैदा हुई पार्टी ने ‘ईमानदारी’की छवि के सहारे दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाई तो गुजरात से गोवा तक कई राज्यों तक दस्तक दे दी है। राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने के लिए शर्त पूरी कर चुकी पार्टी देशभर में विस्तार योजना पर काम कर रही है। हालांकि, खुद केजरीवाल का नाम घोटाले में आने के बाद पार्टी की उम्मीदों को झटका लग सकता है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि खुद को कट्टर ईमानदार पार्टी कहने वाली ‘आप’ की सबसे बड़ी ताकत को चोट पहुंची है। पार्टी ने इसी ‘पूंजी’ के सहारे सफलता के नए आयाम गढ़े हैं। जनता की नजरों में खुद को बेकसूर साबित करने के लिए पार्टी नेताओं को कड़ी मेहनत करनी होगी, जिसकी शुरुआत खुद अरविंद केजरीवाल ने की और कहा कि ईडी के आरोप काल्पनिक हैं। आने वाले समय में भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियां वैकल्पिक राजनीति का दावा करने वाले केजरीवाल पर आक्रामक प्रहार कर सकती हैं। (एएमएपी)