प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट सत्र में बुधवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष पर जमकर वार किया। बीते दिन राहुल गांधी के भाषण के बाद से माना जा रहा था कि वे उद्योगपति गौतम अडानी पर लगाए गए आरोपों का खुलकर जवाब दे सकते हैं, लेकिन पीएम के भाषण से अडानी का जिक्र गायब रहा। राजनीतिक एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अपने भाषण से पीएम मोदी ने साफ कर दिया है कि वे कांग्रेस की बनाई गई पिच पर बैटिंग नहीं करेंगे और उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एजेंडा सेट करने का मौका नहीं देंगे।

पीएम मोदी को अपनी योजनाओं पर भरोसा

पीएम मोदी ने भाषण में उन तमाम सरकारी योजनाओं का जिक्र किया, जिसके जरिए उनकी सरकार दावा करती है कि उसने करोड़ों गरीबों, किसानों, महिलाओं की जिंदगी को बेहतर बना दी। फिर वह पीएम किसान सम्मान निधि हो, जिसके बारे में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इससे करोड़ों किसानों के खाते में पैसा जमा हो रहे हैं। वहीं, पीएम मोदी ने हर घर बनाए गए शौचालय, कोरोना वैक्सीनेशन पर, पानी-बिजली की योजनाओं व 4जी कनेक्टिविटी आदि का भी जिक्र किया। एक्सपर्ट मानते हैं कि पीएम मोदी जनता के सामने विकास की योजनाओं को ही रखना चाहते हैं, ताकि 2014 व 2019 की तरह अगले आम चुनाव में भी विकास को ही आगे रखा जा सके।

अडानी पर देते जवाब तो और बढ़ता मामला

राहुल गांधी ने लोकसभा में अपने भाषण में गौतम अडानी पर आई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मोदी सरकार पर कई हमले बोले थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि साल 2014 में अडानी दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में 609वें नंबर पर थे, लेकिन पीएम मोदी से कथित नजदीकी होने की वजह से दूसरे नंबर पर आ गए। इसके अलावा, राहुल ने कहा, “श्रीलंका में, सीलोन बिजली बोर्ड के अध्यक्ष ने वहां एक संसदीय समिति को बताया कि उन्हें राष्ट्रपति राजपक्षे ने कहा कि पीएम मोदी ने उनसे अडानी को विंड एनर्जी प्रोजेक्ट देने के लिए कहा था। यह भारत की विदेश नीति नहीं है। यह अडानी के कारोबार को खड़ा करने की नीति है।” राहुल का पूरा भाषण अडानी पर केंद्रित होने के बाद भी पीएम मोदी ने उद्योगपति का जिक्र नहीं किया। एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि यदि पीएम मोदी अडानी का जिक्र करते या फिर राहुल के आरोपों का जवाब देते तो इससे आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला आगे बढ़ता। उनके बयान के बाद कांग्रेस और हमलावर हो सकती थी। ऐसे में आम बजट में पिछले दिनों की गईं तमाम घोषणाओं, सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली योजनाओं आदि के बजाए राजनीति का केंद्र गौतम अडानी हो जाते।

अडानी के अलावा विपक्ष के पास अभी और बड़े मुद्दे नहीं

2014 से 2019 के बीच में कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष ने कई मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरा। इसमें राफेल, महंगाई, बेरोजगारी, विजय माल्या, ललित मोदी, नीरव मोदी समेत कई मुद्दे थे। राफेल पर राहुल गांधी ठीक उसी तरह से हमलावर दिखाई दिए थे, जैसे कि अभी गौतम अडानी के मामले में हैं। हालांकि, इसका ज्यादा फायदा कांग्रेस नहीं उठा सकी और 2019 के चुनाव में भी करारी हार का सामना करना पड़ा। लेकिन इसके बावजूद भी चुनाव के ठीक पहले जनता के बीच एक परसेप्शन बनाने में जरूर कामयाब हो गई कि वह सरकार को घेरने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। साथ ही, विपक्ष भी सड़कों पर है। लेकिन 2019 के बाद से देखें तो पहले राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया और फिर विपक्ष के पास से बड़े मुद्दे भी गायब होते रहे। कुछ मुद्दों को हटा दें तो अब अडानी पर आई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट विपक्ष के पास एकमात्र ऐसा हथियार है, जिसे वह अगले एक साल तक जरूर ले जाना चाहेगी। इससे वह अपने कार्यकर्ताओं और जनता के बीच परसेप्शन बनाने की कोशिश करेगी।

एक सर्वे में भी देखा गया है कि अगले चुनाव में फिर से मोदी सरकार बहुमत के साथ आ सकती है। ऐसे में आम चुनाव से एक-सवा साल पहले कांग्रेस अडानी मामले पर हमलावर दिखना चाहती है। वह पिछले गुजरात चुनाव की तरह अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहती, जहां पर वह जमीन पर देखी नहीं गई। भारत जोड़ो यात्रा की वजह से राहुल गांधी भी पूरे गुजरात चुनाव से लगभग बाहर ही रहे और अंत में मुकाबला आम आदमी पार्टी व बीजेपी के बीच रह गया। इससे बीजेपी को यह फायदा हुआ कि उसने रिकॉर्ड सीटें जीतते हुए इतिहास रच दिया। ऐसे में एक्सपर्ट्स भी मान रहे हैं कि अगले आम चुनाव तक कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष अडानी जैसे उद्योगपति के जरिए सरकार पर हमला करना रख सकता है। (एएमएपी)