तुर्की में आए भीषण भूकंप के बाद से यहां दुनिया भर के देशों द्वारा राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है जिसमें भारत भी अपनी एक बड़ी भूमिका निभा रहा है। भारत की एनडीआरएफ की दो टीमें, जिसमें एक डॉग स्क्वॉड भी शामिल है, तुर्की में बचाव कार्य में जुटी है। भारत ने तुर्की में ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत अब तक विमानों से राहत सामग्री, 30 बिस्तरों वाला मोबाइल अस्पताल, तमाम प्रकार की आवश्‍यक दवाएं और अन्‍य मेडिकल सामग्री समेत सभी जरूरी सामान अब तक वहां पहुंचाया है। जिसके चलते अब तुर्की ने भारत की ओर से दिए जा रहे सहयोग के लिए उसका आभार माना है और उसे अपना सच्चा दोस्त कहा है।

वहीं, इस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत अधिक से अधिक लोगों की जान बचाने का प्रयास करता रहेगा। दरअसल, तुर्की में भारतीय टीम द्वारा निभाई जा रही भूमिका के संबंध में विदेश मंत्रालय के एक ट्वीट का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, “हमारी टीमें ‘ऑपरेशन दोस्त’ के एक हिस्से के रूप में दिन-रात काम कर रही हैं। वे अधिक से अधिक लोगों का जीवन और संपत्ति को बचाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देना जारी रखेंगी। इस संकटपूर्ण घड़ी में, भारत तुर्की के लोगों के साथ मजबूती से खड़ा है।”
इस संबंध में इस्केंडरन, हटे में फील्ड अस्पताल के कुछ वीडियो साझा करते हुए विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया था कि चिकित्सा विशेषज्ञों की भारतीय सेना की टीम 24×7 काम पर है, जो घायलों को राहत प्रदान कर रही है।

 अब तक 21,000 से ज्यादा लोगों की मौत का आंकड़ा आया सामने

तुर्की और सीरिया में भूकंप से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अभी भी मलबे को खंगाला जा रहा है, जिसमें से लगातार शव निकल रहे हैं। दोनों देशों में अब तक 21 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई है। भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित शहर अंताक्या है जोकि दक्षिण मध्य तुर्की में स्‍थ‍ित है।  अंताक्या शहर की आबादी करीब 2.50 लाख थी। इस शहर का एक बड़ा हिस्सा मलबे में तब्दील हो चुका है। पूर्व में सान्लिउर्फा का भी यही हाल है। इस शहर को सीरियाई संस्कृति का प्रमुख केंद्र माना जाता है। इसके अलावा यहां का अलेप्पो शहर भी अब खंडहर बन चुका है।

अब तक पाकिस्‍तान के साथ खड़ा दिखा है तुर्की

तु्र्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान कई मसलों पर भारत के विरोध में बोलते रहे हैं। लेकिन आज जब उनका देश मुसीबत में आया है तो वो भारत की मदद की पेशकश से इनकार नहीं कर सके।  कभी भारत का भेजा गेहूं लौटाने वाला तुर्की और कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के विरोध में साजिश रचता रहा तुर्की इस समय भारत की मदद ले रहा है।
विस्‍तार में बतादें कि यह देश संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर पर आए प्रस्तावों पर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के एक साल बाद ही इसने भारत को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी। तब तुर्की ने कहा था कि जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद राज्य में हालात और मुश्किल हो गए हैं।  उसने दुनिया के सामने बार-बार कश्‍मीर मुद्दा उठाया.। यही नहीं, बल्कि तुर्की ने भारत का 56,877 टन गेहूं रुबेला वायरस का हवाला देकर भारत को लौटा दिया था है, तब उसी अनाज को दुनिया के दूसरे देशों ने खरीदा।

मदद का पुराना इतिहास रहा है भारत का

आपको बतादें कि ये पहली बार नहीं हो रहा कि कोई देश संकट में हो और भारत ने बिना पूछे एक दोस्त की तरह आगे बढ़कर उसकी मदद नहीं की हो। जैसे आज वो भूकंप के बाद आई जबरदस्त तबाही से जूझ रहे तुर्की की मदद कर रहा है।  जब भी प्राकृतिक आपदा किसी देश पर संकट के तौर पर मंडराई, तो बिना सोचे-समझे भारत उसके साथ मजबूती के साथ खड़ा हो गया।   आज फिर एक बार भारत यह संदेश देने में सफल रहा है कि वह मुसीबत की घड़ी में किसी के साथ कोई फर्क नहीं करता, बल्‍कि वह तो वसुधैव कटुंबकम की भावना में विश्वास करता है और इसी के तहत उसने अपनी ओर से अब तक मदद भेजना जारी रखा हुआ है।

साल 2019 दक्षिण अफ्रीकी देशों मोजाम्बिक, जिम्बाब्वे और मलावी में विनाशकारी चक्रवात ‘इडाई के दौरान भारत का ऐसा ही रूप दिखने को मिला था। इन तीनों ही जगह बहुत जानमाल का नुकसान हुआ था,  भारत ने तत्काल नौसेना की तीन नौकाओं को बीरा बंदरगाह भेजकर अपनी ओर से भरसक सहायता पहुंचाई थी, तब भारतीय नौसेना ने 192 से अधिक लोगों को बचाया और राहत शिविरों में 1381 लोगों की स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं से मदद की थी।

इससे पहले  2017 में पश्चिम अफ्रीकी देश सिएरा लियोन में भारी बारिश और भूस्खलन से एक हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी तब भारत सरकार ने एनडीआरएफ की एक टीम वहां भेजी, यह टीम सैकड़ों लोगों ने हर तरीके से जान बचाने में सफल रही। हमने देखा कि साल 2015 में भारत ने विनाशकारी भूकंप के आने के बाद भी अपना मित्र धर्म निभाया और एनडीआरएफ की टीमों को नेपाल भेजा था, यहां से गई एनडीआरएफ की टीमें अनेक जीवन बचाने में सफल रहीं जिसके प्रयासों की नेपाल की सरकार और वहां लोगों ने काफी सराहना की थी।

इसी प्रकार से जब 2011 में थाईलैंड में भयंकर बाढ़ आई और हजारों लोग बेघर हो गए तब बिना देर किए हुए भारत सरकार ने एनडीआरएफ की एक टीम वहां भेजी थीं, इसके साथ ही प्रभावित लोगों की हर स्तर पर मदद भारत की ओर से थाईलैंड को दी गई थी। हर बार पीठ में छुरा घोंपने वाले पाकिस्तान की भी भारत 2005 में मदद कर चुका है जब वहां पर भूकंप आया था। तब भूकंप की तबाही से उबारने के लिए भारत ने ही आपदा प्रबंधन से जुड़ी कुछ टीमों को पाकिस्तान भेजा था। इसी प्रकार से इंडोनेशिया, म्यांमार, हैती, थोपिया, यमन, अपने पड़ौसी देश बांग्लादेश समेत अन्‍य कई देशों को भारत अब तक संकट की घड़ी में मदद देता आया है। (एएमएपी)