जब हम रोजमर्रा की जिंदगी और शहरी शोर-शराबे से थक जाते हैं तो शांति की तलाश करते हैं। अपने व्यस्त जीवन से हटकर फुर्सत के कुछ पल बिताने और अपना मूड फ्रेश करने के लिए हम अक्सर भ्रमण पर निकाल जाते हैं। आज अधिकतर समाज शहरीकृत हो चुका है। ऐसे में ग्रामीण पर्यटन शहरी आबादी के बीच निरन्तर लोकप्रिय हो रहा है। इस लेख में हम जानेंगे की ग्रामीण पर्यटन क्या है और यह गांव के लिए कितना फायदेमंद है।

ये है देश का ग्रामीण पर्यटन

कोई भी ऐसा पर्यटन जो ग्रामीण जीवन, कला, संस्कृति और ग्रामीण स्थलों की धरोहर को दर्शाता है उसे ग्रामीण पर्यटन कहा जा सकता है। ये मुख्यतः देश के देहाती इलाकों में होता है। ग्रामीण पर्यटन त्योहारों और स्थानीय उत्सवों से सराबोर होता है और संस्कृति, धरोहर और परम्परा के संरक्षण पर आधारित होता है। इस पर्यटन से जहां एक ओर स्थानीय समुदाय को आर्थिक और सामाजिक लाभ पहुंचता है वहीं दूसरी ओर पर्यटक को भी नया अनुभव मिलता है। ग्रामीण पर्यटन स्थायी और ज़िम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को पूरा करने का अवसर प्रदान करता है।

इन विषयों को किया गया इसमें शामिल

ग्रामीण पर्यटन बहुआयामी होता है। इसमें  खेत/कृषि पर्यटन, सांस्कृतिक पर्यटन, प्रकृति पर्यटन, साहसिक पर्यटन और पर्यावरण पर्यटन शामिल हैं। परम्परागत पर्यटन के विपरीत ग्रामीण पर्यटन की प्रमुख विशेषता है कि यह अनुभव-उन्मुखी होता है। ग्रामीण पर्यटन के दौरान कृषि उद्योग और फसलें उगाने के लिये किसान कैसे काम करते हैं और गांव के व्यंजनों की विविधता का भी आनंद ले सकते हैं। भारत के गावों में आगंतुकों के समक्ष पेश करने के लिये अद्वितीय संस्कृति, शिल्प, संगीत, नृत्य और विरासत है।

जी-20 की बैठकों में दिख रहा ग्रामीण पर्यटन पर जोर और मिलने लगा लाभ

हाल ही में G20 के तहत पर्यटन कार्य समूह की पहली बैठक गुजरात के कच्छ के रण में सम्पन्न हुई। बैठक के दौरान केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी.के. रेड्डी ने ग्रामीण पर्यटन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर गांवों से ही आत्मनिर्भर भारत का निर्माण होगा। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने पहली बार ग्रामीण पर्यटन के विकास के लिए राष्ट्रीय रणनीति और रोडमैप पर एक मसौदा तैयार किया है। ये रणनीति पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

इस प्रकार से ग्रामीण पर्यटन का अर्थव्यवस्था हो रहा प्रभाव

महात्मा गांधी ने कहा था कि ‘भारत की आत्मा गांवों में बसती है’। इस प्रकार हमारे गांव देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत और देश की प्राकृतिक सुंदरता को प्रदर्शित करते हैं। ग्रामीण पर्यटन में कम से कम निवेश के साथ अधिकतम संख्या में रोजगार सृजित करने की क्षमता है और इसलिए ग्रामीण पर्यटन आर्थिक परिवर्तन, ग्रामीण विकास और सामुदायिक कल्याण के लिए एक सकारात्मक शक्ति हो सकता है। यह पर्यटन स्थानीय उत्पादों और सेवाओं की बिक्री को सक्षम बनाने के साथ-साथ युवाओं को उद्यमी बनने के लिए सशक्त माध्यम प्रदान करता है। यह महिलाओं और आदिवासियों जैसे वंचित समुदायों को रोजगार प्रदान करता है।  इस प्रकार यह सामुदायिक सशक्तिकरण और गरीबी उन्मूलन के लिए अग्रणी भूमिका निभाता है।

भारत के गांवो की अब पहचान है ग्‍लोबल विलेज  की

भारतीय गांवों को पहले से ही ग्रामीण पर्यटन के लिए वैश्विक मान्यता मिल रही है। तेलंगाना में पोचमपल्ली गांव इसका उदाहरण है। ये गांव अपनी बुनाई शैली और ‘इकत’ साड़ियों के लिए जाना जाता है। इसलिए इसे सिल्‍क सिटी भी कहा जाता है। पोचमपल्‍ली की साड़ियों का देश में करीब 200 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार है।  पोचमपल्ली गांव को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांवों में से एक घोषित किया गया है। पोचमपल्ली गांव के अलावा भारत का पहला इको-गांव गुजरात का धज है तो वहीं एशिया का सबसे स्वच्छ गांव मेघालय के मावलिननांग में है। हमारे ये गांव दुनिया को प्रेरणा दे रहे हैं।

केंन्द्र सरकार की ग्रामीण भारत को लेकर है आगे की ये राह

ग्रामीण भारत के पास लोगों को देने के लिये बहुत कुछ है। पहली बार केंद्र सरकार ने ग्रामीण पर्यटन रणनीति का खाका जारी किया है। यह रणनीति न केवल हमारे गांवों के आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी, बल्कि हमारी कला-संस्कृति और विरासत को भी एक नई ऊर्जा प्रदान करेगी। एक समग्र और टिकाऊ ग्रामीण पर्यटन रणनीति के माध्यम से हमें भारतीय आतिथेय को प्रकृति, समृद्ध हस्तकला, शिल्प और सांस्कृतिक विरासत के साथ जोड़ने में मदद मिलेगी। भारत में पर्यटन मंत्रालय ने ऐसे ग्रामीण पर्यटक स्थलों के विकास पर विशेष बल दिया है, जो समृद्ध कला, संस्कृति, हथकरघा, धरोहर और शिल्प की दृष्टि से गौरवशाली हों। इसके अलावा नागरिकों के बीच भारत के कम ज्ञात स्थलों और विरासत स्थलों सहित विभिन्न पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जनवरी 2020 में ‘देखो अपना देश’ पहल शुरू की गई थी। पर्यटकों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए और पर्यटन क्षेत्र के लोगों को आर्थिक मजबूती देने के लिए पर्यटन मंत्रालय देश में योजनाबद्ध तरीके से और प्राथमिकता के आधार पर थीम सर्किट विकसित कर रहा है।

ग्रामीण पर्यटन का गांव सीधा होता इस प्रकार से प्रभाव

ग्रामीण भारत में पर्यटकों की बढ़ती संख्या के साथ लोगों के बीच व्यापार का स्तर बढ़ने से उनकी आय का स्तर भी बढ़ेगा। इससे युवाओं के लिये रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। किसी भी स्थान के परम्परागत हथकरघा और हस्तशिल्प स्थानीय लोगों के लिये गौरव का विषय होते हैं। पर्यटन के माध्यम से पर्यटकों को स्थानीय लोगों से तैयार उत्पाद सीधे खरीदने का लाभ प्राप्त होता है। इससे उनकी आय में वृद्धि होगी। पर्यटकों के साथ विचारों के आदान-प्रदान से ग्रामीण लोगों में नये विचार सृजित होंगे। इससे शिक्षा, निवारक स्वास्थ्य देखभाल, आधुनिक उपकरणों आदि के प्रति लोगों की रुचि बढ़ेगी। इससे साक्षरता का प्रसार करने में भी मदद मिलेगी। अधिकाधिक पर्यटकों द्वारा गांवों की यात्रा करने से सड़कों के माध्यम से सम्पर्क में सुधार आएगा और सार्वजनिक परिवहन में बढ़ोत्तरी होगी।  (एएमएपी)