apka akhbar-ajayvidyutअजय विद्युत ।

भारत में जिहादियों के हिमायती लेफ्ट लिबरल गठजोड़ के लिए यह एक बड़ा झटका है। अमेरिका आधारित फॉरेन पॉलिसी डॉट कॉम ने दक्षिण भारत में जिहाद को लेकर एक रिपोर्ट छापी है जिसमें कहा गया है कि जिहादियों की जड़ें देवबंद आंदोलन से जुड़ी हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय मुसलमान विदेशों में इस समय दुनिया के सबसे खूंखार इस्लामी आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) में शामिल हो रहे हैं। दुनिया में इस्लामिक स्टेट का यह एक नया चेहरा है, जिसके तार देवबंद से जुड़े हैं।


 

भारत को देवबंदी आंदोलन की जन्मभूमि बताते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि यही तालिबान के लिए विचारों का स्रोत रहा है। तालिबान ने अफगानिस्तान और सीरिया में भारतीयों को प्रमुख रूप से अपने हमलों में निशाना बनाया। कश्मीर में जारी आतंकवाद के पीछे भी तालिबान का हाथ रहा है और जहां कहीं भी मुस्लिम सताए जाते हैं वहां कश्मीर में मुसलमानों पर भारत द्वारा की जा रही ज्यादती का ढिंढोरा पीटा जाता है। जबकि सच यह है कि कश्मीर में बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी भारत के साथ है और आतंकवाद से आजिज आ चुकी है।

इस्लाम के जानकार और केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान हमेशा से मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे हैं। एक तलाकशुदा बेसहारा महिला शाहबानो को गुजारा भत्ता देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जब केंद्र की राजीव गांधी सरकार ने पलट दिया था तो विरोध में उन्होंने केंद्रीय मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया था। देवबंद मदरसे में करीब चार हजार के आसपास बच्चों को धार्मिक शिक्षा दी जाती है। वहां धार्मिक शिक्षा के नाम पर बच्चों का क्या ब्रेनवॉश किया जा रहा है, उसकी एक अलग ही कहानी है। कुछ समय पहले मीडिया को दिए इंटरव्यू में आरिफ मो. खान की बात आज भी उतनी ही ताजा और जरूरी है, ‘देवबंद में जो किताब सिलेबस (कोर्स) का हिस्सा है उसमें जिहाद के बारे में जो लिखा है, जिहाद का जो मकसद बताया गया है, वह कुरआन में कही बात से बिल्कुल अलग है।’ खान के अनुसार, ‘आप (मुसलमान) जिस मुल्क (भारत) में रह रहे हैं उसमें देवबंदवालों को इसकी (धार्मिक शिक्षा के नाम पर ऐसी पुस्तक विद्यार्थियों को पढ़ाने की) इजाजत है!’

Report: Sunni Deobandi-Shi'i Sectarian Violence in Pakistan | Middle East Institute

आरिफ साहब के ही शब्दों में, ‘कुरआन साफ कहता है कि लड़ने की इजाजत सिर्फ उनको दी जाती है जिनके खिलाफ लड़ाई लड़ी गई है… जिन पर जुल्म किया गया है… जिनको उनके घरों से निकाला गया है।’

फिर वह देवबंद में पढ़ाई जा रही किताब पर आते हैं, ‘लेकिन, देवबंद जिहाद का मकसद क्या बताता है? यह कि, शरीयत में जिहाद दीने हक की तरफ बुलाने और जो उसे कबूल न करे उससे जंग करने को कहते हैं। ये देवबंद में इस किताब से पढ़ाया जाता है। …देवबंद में जब बच्चा आता है तो इस किताब को श्रद्धा से अपनी आंखों से लगाता है। उससे कहते हैं कि ये अल्लाह का कानून है। उससे ये नहीं कहते कि ये देवबंद वालों की राय है। ये किताब देवबंद से छपी है और मैंने वहीं से मंगवाई है। इस पर लिखा है- मकतबा थानवी, देवबंद, जिला- सहारनपुर। आप ये पढ़ाएंगे वहां।’

आरिफ मो. खान के अनुसार उन्हें कोई एतराज नहीं है क्योंकि देवबंद में केवल चार फीसदी बच्चे पढ़ते हैं। फिर वह अपना आशय स्पष्ट करते हुए जोड़ते हैं, ‘लेकिन ये चार फीसदी वे हैं जिनका मस्जिदों के मेंबरों पर कब्जा है। वहां से ये तकरीरें करते हैं।’

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