भारत में यह पहला अवसर है कि किसी केंद्रीय सत्ता के रहते हुए भारतीय संस्कृति की पहचान चोरी-छिपे किसी तरह विदेश ले जाई गईं प्राचीन वस्तुएं बहुत बड़ी संख्या में वापस भारत लाई जा रही हैं, इससे पहले किसी भी सरकार में यह देखने को नहीं मिला कि इतनी बड़ी संख्या में यह प्राचीन वस्तुएं कभी भारत वापस आई हों। इसे आप मोदी राज की एक बड़ी उपलब्धि भी मान सकते हैं ।आंकड़े बताते हैं कि भारत से बाहर ले जायी गयीं 229 प्राचीन वस्तुओं को पिछले आठ सालों में विदेशों से वापस लाया गया जबकि उससे पहले 2014 तक उनकी संख्या महज 13 थी।

केंद्रीय संस्कृति मंत्री  जी किशन रेड्डी ने इस बारे में बताया है कि यह देश के सांस्कृतिक गौरव से जुड़ी बेशकीमती चीजों को वापस लाने के केंद्र के दृढ़ निश्चय को दर्शाता है। जब उनसे ब्रिटेन से कोहिनूर हीरा वापस लाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह चाहेंगे कि यह प्रसिद्ध रत्न वापस आये।

मंत्री  जी किशन रेड्डी का कहना है कि  भारत की स्वतंत्रता के बाद से लेकर 2014 तक केवल 13 प्राचीन बेशकीमती वस्तुएं विदेश से भारत लायी गयीं। उन्होंने कहा कि इसकी तुलना में पिछले आठ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से 229 ऐसी वस्तुएं भारत वापस लायी गयीं और उनमें से 25 खजुराहो में हो रही बैठक के दौरान प्रदर्शित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि यह देश के सांस्कृतिक गौरव की वस्तुएं वापस लाने के केंद्र के निश्चय को दर्शाता है।

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित ऐतिहासिक नगर खजुराहो में 22 फरवरी से G20 संस्कृति कार्य समिति की पहली बैठक का आयोजन शुरू है।  चार दिवसीय बैठक का समापन इस महीने की 25 तारीख को होगा।

125 से अधिक प्रतिनिधि ले रहे भाग

इस बैठक में G20 देशों के लगभग 125 सदस्य शामिल हुए हैं। इस कार्य समिति की चार बैठकें होंगी। पहली खजुराहो, दूसरी भुवनेश्वर, तीसरी हम्पी और चौथी बैठक वाराणसी में है।

भारत संस्कृति में इतना समृद्ध और विविधता भरा है कि ये सांस्कृतिक जुड़ाव अपना एक अलग ही महत्व हासिल कर लेता है। इसलिए भारत द्वारा G20 की व्यापक थीम “वसुधैव कुटुम्बकम” यानि एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ रखी गई है।

अपने राजसी मंदिरों और विस्तृत मूर्तियों के लिए जाना जाता है खजुराहो

खजुराहो का मंदिर इतिहास बेजोड़ स्थापत्य कला के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यही कारण है कि यह विश्व धरोहर में शामिल हैं। यहां स्थित पश्चिमी समूह के मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में शामिल हैं। खजुराहो मंदिर की स्थापत्य शैली उस अवधि के मंदिर से डिजाइन से बहुत अलग है। ऐसा माना जाता है कि भारत में 20 लाख से अधिक हिंदू मंदिर हैं। ये मंदिर भारतीय संस्कृति और जीवन प्रणाली की विविधता को दर्शाते हैं। भारत की मंदिर वास्तुकला में हमेशा एक अंतर्निहित दृष्टिकोण प्रदर्शित होता है। यह दृष्टिकोण, अनुभूति, स्थान, और समय का प्रतीक होता है। हिंदू मंदिरों के निर्माण से संबंधित कला और वास्तुकला शिल्प शास्त्र में अच्छी तरह से परिभाषित है। इसमें नागर या उत्तरी शैली, द्रविड़ या दक्षिणी शैली और वेसर या मिश्रित शैली नामक भारत की तीन मुख्य मंदिर वास्तुकला शैलियों का उल्लेख है।

नागर शैली की मुख्य विशेषताओं में गर्भगृह, शिखर (वक्रीय मीनार), और मंडप (प्रवेश हॉल) शामिल हैं। नागर शैली का विकास धीरे-धीरे हुआ क्योंकि पहले के मंदिरों में केवल एक ही शिखर हुआ करता था, जबकि बाद के मंदिरों में कई शिखर होते थे और गर्भगृह हमेशा सबसे ऊंचे शिखर के नीचे पाया जाता था। खजुराहो के मंदिर नागर शैली के मंदिरों के अद्भुत उदाहरण हैं क्योंकि इन मंदिरों में एक गर्भगृह, एक संकरा आंतरिक-कक्ष (अंतराल), एक अनुप्रस्थ भाग (महामंडप), अतिरिक्त सभागृह (अर्ध मंडप), एक मंडप या बीच का भाग और एक प्रदक्षिणा-पथ होता है, जिसमें बड़ी खिड़कियों द्वारा प्रकाश आता है।(एएमएपी)