भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई जल्द इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल यानी आईसीसी के एक फैसले को चुनौती दे सकती है, जिसमें आईसीसी के एलीट पैनल के मैच रेफरी क्रिस ब्रॉड ने इंदौर की पिच को Poor रेटिंग दी थी। इसके मायने ये हैं कि ये पिच खराब थी और टेस्ट मैच के लायक नहीं थी। आईसीसी ने 3 डेमेरिट प्वाइंट भी स्टेडियम को दिए थे। इससे स्टेडियम में अगर आगे किसी मैच को इस तरह की रेटिंग मिलती है तो स्टेडियम पर एक साल का बैन लग सकता है।
बीसीसीआई इसी फैसले के खिलाफ चुनौती देगी, क्योंकि मैच का नतीजा तीसरे दिन निकला था और कुल 31 विकेट गिरे थे। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के तीसरे मैच की पिच को लेकर बीसीसीआई के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हम स्थिति का जायजा लेंगे और निर्णय लेंगे।” पिच की रेटिंग के खिलाफ चुनौती देने के लिए मेजबान क्रिकेट बोर्ड को 14 दिन का समय मिलता है। ऐसे में बीसीसीआई जल्द इस पर फैसला लेगी, क्योंकि मैच 3 मार्च की सुबह समाप्त हो गया था।
आईसीसी की प्रेस रिलीज में मैच रेफरी ब्रॉड ने कहा था, “पिच बहुत सूखी थी, बल्ले और गेंद के बीच संतुलन प्रदान नहीं कर पाई। पिच शुरू से ही स्पिनरों के पक्ष में थी। मैच की पांचवीं गेंद से पिच की सतह टूट गई और कभी-कभार सतह को तोड़ती रही, जिससे सीम मूवमेंट बहुत कम था या हुआ ही नहीं और पूरे मैच में अत्यधिक और असमान उछाल था।”
पाकिस्तान को मिली थी सफलता
बता दें कि पिछले साल पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने आईसीसी के इस फैसले के खिलाफ चुनौती दी थी, जहां उन्होंने रावलपिंडी की पिच को बिलो एवरेज बताया था। आईसीसी ने स्वीकार किया था कि ऐसा नहीं है और इस वजह से पिच को एवरेज करार दिया गया और डेमेरिट प्वाइंट्स भी स्टेडियम से हटा लिए गए। पिच फ्लैट थी, लेकिन इंग्लैंड की टीम ने आखिरी के कुछ मिनटों में जीत दर्ज की थी।
ICC के नियमों के अनुसार, BCCI के पास इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 14 दिन का समय है। यदि स्टेडियम पांच साल की रोलिंग अवधि में पांच डेमेरिट प्वाइंट्स हासिल करता है, तो उसे 12 महीनों के लिए अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी करने से निलंबित कर दिया जाएगा। सीरीज के पहले दो टेस्ट मैचों की मेजबानी करने वाले नागपुर और दिल्ली की पिचों को मैच रेफरी ने ‘औसत’ रेटिंग दी थी। (एएमएपी)