भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) जैसे देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में भी जातीय जकड़बंदी छात्रों को भयभीत कर रही है। IIT बॉम्बे के एससी-एसटी छात्र प्रकोष्ठ द्वारा पिछले साल किए गए एक सर्वेक्षण की एक मसौदा रिपोर्ट के अनुसार, 388 एससी/एसटी छात्रों में से लगभग एक-तिहाई ने कहा कि वे कैंपस में अपनी जाति की पहचान पर खुलकर चर्चा करने में सहज महसूस नहीं करते हैं। फरवरी 2022 के सर्वेक्षण के विवरण- जो अभी आधिकारिक तौर पर IIT-Bombay द्वारा जारी किया जाना बाकी है- की रिपोर्ट पहले सामने नहीं आई थी।सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य 131 छात्रों (33.8%) ने कहा कि वे अपनी जाति के बारे में केवल “बहुत करीबी” दोस्तों के बीच ही बात कर सकते हैं, जबकि 27 छात्र (7.2%) अपने “विस्तारित मित्रों” मंडलियों में जाति पर चर्चा करने से डरते हैं। “बहुत करीबी दोस्त” जैसे शब्द उत्तरदाताओं की अपनी ही सामाजिक पृष्ठभूमि वाले छात्रों को दर्शाता है, जो प्रभावी रूप से यह इंगित करता है कि लगभग 245 (63.2%) उत्तरदाता जाति की पहचान के बारे में खुले तौर पर बात करने में सहज नहीं थे।
ड्राफ्ट रिपोर्ट के नोट में कहा गया है,”यह संख्या दर्शाती है कि आईआईटी बॉम्बे एससी/एसटी छात्रों के लिए कितना शत्रुतापूर्ण, असंवेदनशील और असुरक्षित स्थान है।” ड्राफ्ट रिपोर्ट में आईआईटी बॉम्बे को तत्काल “एक सुरक्षित संस्थान और सुरक्षित स्थान बनाने और वहां छात्रों के बीच विश्वास बहाली करने पर जोर दिया गया है ताकि वे खुले तौर पर अपनी पहचान का दावा कर सकें और जातीय भेदभाव की दशा में उनके निवारण की तलाश कर सकें।”(एएमएपी)