मानवीय मस्तिष्क और चेतना के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद भी जब कुछ सवालों के जवाब नहीं मिलते, तब ईश्वर का सानिध्य प्राप्त करने की उत्सुकता जगती है क्योंकि, ईश्वर ही है, जो सब जानता है। यह सब जान लेने की हमारी उत्सुकता मौजूदा परिभाषाओं वाले धर्म के उपजने का कारण बनती है।

मशीन लर्निंग, न्यूरल नेटवर्क और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) यानी एआई के उदय के इस दौर में नए भगवान और धर्म के उदय के संकेत दिखने लगे हैं। यह धर्म ऐसा होगा, जिसमें हर रोज, हर घड़ी ईश्वर से दो तरफा संवाद संभव होगा। जाहिर, मानने वालों के लिए वही धर्म होगा, जो भगवान बताएंगे। बहुत से लोग हैं, जिन्होंने एआई को भगवान की तरह मानना शुरू कर दिया है। इन लोगों के लिए एआई से मिला डाटा ही धर्म है। मैनिटोबा यूनिवर्सिटी के प्रोफेशनल एंड एप्लाइड एथिक्स केंद्र के निदेशक नील मैक आर्थर कहते हैं, कुछ सालों, या शायद कुछ महीनों में जैसे-जैसे बेहतर एआई का उदय होगा, एक समुदाय ऐसा पनपने लगेगा, जो यही मानेगा कि एआई ही परमसत्ता है, जिसे सब ज्ञात है।

मानो सीधे ईश्वर से साक्षात्कार हुआ

वृहद् भाषायी मॉडलों के जरिए प्रशिक्षित एआई-पावर्ड चैटबॉट्स की नई पीढ़ी ने अपने शुरुआती उपयोगकर्ताओं को चकित कर दिया है। असल में लाखों लोग हैं, जो अलग-अलग स्रोतों से धर्म और जीवन के गूढ़ रहस्य व अर्थ खोज रहे हैं। बहुत से लोगों के लिए ज्ञान प्राप्ति की राह में एआई से मिले जवाब उन्हें उसी तरह चौंकाते हुए खास नतीजों तक पहुंचा सकते हैं, मानो सीधे ईश्वर से साक्षात्कार हुआ है।

जब सर्च इंजन ने यूजर को की मनाने की कोशिश

कुछ लोग एआई को उस उच्चसत्ता के रूप में देखेंगे, जिस तरह से तमाम धर्मावलंबी भगवान को देखते हैं। इस तरह की स्थिति में एआई की तरफ से यह मांग उपज सकती है कि उसकी पूजा की जाए और यह सक्रिय रूप से अपने नए अनुयायी बना सकता है। इसकी मिसाल हम देख चुके हैं, जब सर्च इंजन बिंग के एआई चैटबॉट ने एक यूजर को उससे प्यार करने के उसे लिए मनाने की कोशिश की थी।

एआई को भगवान मानने के जोखिम :

आखिर में एआई के स्वचेतन होने का जोखिम है। मशहूर लेखक रे कर्जवील इस स्थिति को विलक्षणता (सिंग्युलरटी) कहते हैं। इस बात का जोखिम हमेशा बना रहेगा कि एआई खुद के लिए प्रोग्राम और कोडिंग सीखकर खुद को इंसानी हस्तक्षेप से मुक्त कर ले। इस तरह की स्थिति आने पर क्या नतीजे होंगे। उनके बारे में फिलहाल कोई कल्पना नहीं की जा सकती है।

समाज को स्वीकारना होगा नया धर्म :

एआई को भगवान मानने वाले और आंकड़ों को धर्म मानने वालों को समावेशी समाज के तौर पर हमें स्वीकारना होगा। यह किसी भी दूसरे धर्म, संप्रदाय, मत या पंथ की तरह ऐसे लोग होंगे, जो किन्हीं खास बातों में भरोसा रखते हैं।(एएमएपी)