22 मार्च 2023 को चैत्र नवरात्रि से हिंदू नववर्ष का प्रारंभ हो रहा है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2080 का आगाज हो रहा है। नल संवत्सर के राजा बुध और शुक्र मंत्री हैं। दोनों में मैत्री भाव होने के कारण यह वर्ष शुभ फलदायी माना जा सकता है। हिंदू नववर्ष का शुभारंभ उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में हो रहा है, जिसके स्वामी शनि देव हैं। इस वजह से यह नया साल धन, सुख, समृद्धि में बढ़ोत्तरी करने वाला होगा। बिजनेस से जुड़े लोगों को लाभ होगा।
हिंदू नववर्ष पर 3 बड़े राजयोग
हिंदू नववर्ष का प्रारंभ तीन बड़े राजयोग में हो रहा है। मीन राशि में बुध और सूर्य की युति होने से बुधादित्य राजयोग बन रहा है, वहीं चंद्रमा के साथ गुरु की युति गजकेसरी योग बना रहा है। इस दिन गुरु और शनि अपनी राशि मीन और कुंभ में हैं। मंगल तथा केतु के साथ शनि नवपंचम राजयोग बना रहा है।
हिंदू नववर्ष 2023 में 13 माह
इस साल नव संवत्सर 2080 में 12 नहीं 13 माह होंगे क्योंकि इस साल अधिक मास लग रहा है। अधिक मास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक है। अधिक मास सावन में लग रहा है, इसलिए सावन माह दो महीने का होगा। इस बार सावन के सोमवार और मंगला गौरी व्रत हर बार से अधिक होंगे। शिव परिवार की कृपा पाने का शुभ अवसर होगा।
हिंदू कैलेंडर के 12 माह
हिंदू कैलेंडर की शुरुआत नव संवत्सर या विक्रम संवत से होता है। हिंदू कैलेंडर में भी 12 माह होते हैं। चैत्र माह से हिंदू कैलेंडर की शुरुआत होती है और फाल्गुन माह से समापन होता है। हिंदू कैलेंडर के 12 माह चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन हैं। हिंदू कैलेंडर के सभी 12 माह के नाम नक्षत्रों के नाम पर हैं।
हिंदू नववर्ष से जुड़ी ये खास बातें
1. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ब्रह्म देव ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। इस तिथि से हिंदू नववर्ष शुरु होता है और इस दिन से चैत्र नवरात्रि भी प्रारंभ होती है। इसमें 9 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा होती है।
2. राजा विक्रमादित्य ने विक्रम संवत की शुरुआत की थी। विक्रम संवत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है।
3. हिंदू धर्म में शुक्ल पक्ष की विशेष मान्यता है क्योंकि इसमें चंद्रमा का प्रभाव अधिक होता है। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से रात्रि में चंद्रमा का प्रकाश होता है, जो दिनों दिन बढ़ता जाता है। अंधकार दूर होता है, इस वजह से विक्रम संवत या हिंदू नववर्ष का प्रारंभ शुक्ल पक्ष से होता है।
4. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नव संवत्सर का आगाज होता है। यह तिथि कालचक्र गणना की पहली तिथि है। इस दिन से सतयुग प्रारंभ हुआ था।
5. हिंदू नववर्ष के दिन गुड़ी पड़वा, उगादी जैसे पर्व मनाए जाते हैं।
6. चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को श्रीराम ने जन्म लिया था। रामभक्त इसी दिन को रामनवमी के रूप में भी मनाते हैं। वहीं राम जी के इसी महीने जन्म लेने की वजह से भी इस महीने का महत्व और बढ़ जाता है। इसके अलावा शक्ति और भक्ति के नौ दिन यानी नवरात्र का पहला दिन चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष से ही शुरू होता है।
7. ब्रह्म पुराण में कहा गया है कि इसी दिन यानी चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को ही ब्रह्मा जी ने संसार की रचना की थी। अनुमान के अनुसार लगभग 1 अरब 14 करोड़ 58 लाख 85 हजार 123 साल पहले चैत्र माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन संसार का निर्माण हुआ था। यह कारण भी है कि इस दिन हिंदू नववर्ष मनाया जाता है।
विक्रम संवत पर आधारित कैलेंडर की गणना कैसे की जाती है?
1. ज्योतिषी अनुराग के अनुसार विक्रम संवत आज तक भारतीय पंचांग और काल निर्धारण का आधार बना हुआ हैं। इस कैलेंडर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह वैज्ञानिक रूप से काल गणना के आधार पर बना हुआ है।
2. इस कैलेंडर में जिन 12 महीनों का जिक्र किया गया है वह सभी राशियों के नाम पर हैं। अंग्रेजी के तरह ही इस कैलेंडर में भी 365 दिन का होते हैं।
3. अंग्रेजी कलेंडर के नए साल की शुरुआत जहां 1 जनवरी से होती है वहीं विक्रम संवत पर आधारित कैलेंडर के महीने चैत्र से प्रारम्भ होते हैं। इसकी समयावधि 354 दिनों की होती है शेष बढ़े हुए 10 दिन अधिमास के रूप में माने जाते हैं।
4. ज्योतिष काल की गणना के अनुसार इसके 27 प्रकार के नक्षत्रों का वर्णन है। एक नक्षत्र महीने में दिनों की संख्या भी 27 ही मानी गई है। वहीं सावन वर्ष में दिनों की संख्या लगभग 360 होती है और मास के दिन 30 होते हैं वैसे तो अधिमास के 10 दिन चन्द्रवर्ष का भाग है लेकिन इसे चंद्रमास न कह कर अधिमास कह दिया जाता है।
भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व
हिंदू कैलेंडर के अनुसार नव वर्ष के साथ वसंत ऋतु का भी आरंभ हो जाता है जो उल्लास, उमंग, खुशी और चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
इसके अलावा चैत्र महीने में ही किसानों की फसल पकना शुरू हो जाता है। यानी साल की शुरुआत देश के किसानों के मेहनत का फल मिलने का भी समय होता है।
चैत्र महीने के पहले दिन नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं। आसान भाषा में समझे तो इस दिन किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिए यह शुभ मुहूर्त होता है।(एएमएपी)