मीरजापुर, भदोही, वाराणसी तक बनाई पहचान, अच्छी कमाई जरिया बना दोना-पत्तल

गांव की अधिकतर महिलाएं घरेलू काम या खेतों में मजदूरी करने में ही अपने दिन गुजारती हैं। मीरजापुर के कोन ब्‍लॉक के तिलठी गांव की महिलाओं की भी ऐसी ही स्थिति थी, परंतु सास-बहू की खास मुहिम ने महिलाओं की जिन्दगी बदल दी। सास-बहू को लेकर माना जाता है कि इनमें कभी भी एकमत नहीं हो सकता है, लेकिन मीरजापुर की इस सास-बहूओं की जोड़ी ने इसे बदल दिया है। यहां सास-बहू की जोड़ी न सिर्फ साथ मिलकर व्यवसाय कर रही है, बल्कि ग्रामीण इलाके में नया उदाहरण भी पेश कर रही हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत तिलठी गांव निवासिनी सुराजी देवी (सास) अपनी तीन बहूओं निर्मला, जयदेवी और पान कुमारी समेत गांव की अन्य 13 महिलाओं के साथ मिलकर संत रविदास महिला स्वयं सहायता समूह का गठन कर रोजगार करने को ठाना।

सुराजी देवी ने बताया कि समूह के माध्यम से बैंक से चार लाख 70 हजार रुपये लोन लेकर घर में ही दोना-पत्तल की एक छोटी सी फैक्ट्री लगाई। हम सभी ने मिलकर इसे चालू कर दिया। शुरू में कुछ परेशानियां आईं पर धीरे-धीरे पूरा परिवार सहयोग करने लगा। इस प्रकार पूरे कुनबे के साथ ही आसपास के लोगों को भी रोजगार मिलने लगा। बैंक का लोन भी जमा हो चुका है।

सुराजी देवी ने बताया कि दोना-पत्तल बनाने के लिए कच्चा माल वाराणसी मिर्जामुराद के गोराई बाजार से लाया जाता है। संत रविदास महिला स्वयं सहायता समूह के फैक्ट्री से दोना-पत्तल व्यापक पैमाने पर तैयार किया जाता है। दोना-पत्तल मीरजापुर के अलावा भदोही, वाराणसी व स्थानीय बाजारों के बड़े दुकानदारों के यहां सप्लाई किया जाता है। इससे समूह से जुड़ी महिलाओं के साथ आस-पास की महिलाओं को भी रोजगार मिलता है और अच्छी-खासी आमदनी हो जाती है।

सुराजी देवी ने बताया कि घर पर ही दोना-पत्तल बनाने की एक छोटी-सी फैक्ट्री डाली थी, जो अब धीरे-धीरे बड़ा आकार ले रही है। सास-बहू गांव की अन्य महिलाओं के साथ मिलकर इस फर्म को चला रही हैं। उन्होंने पहले महिलाओं को ट्रेनिंग देकर हुनरमंद बनाया, फिर स्वावलंबन के रास्ते पर चलना सिखाया।(एएमएपी)