अहमदाबाद की एक विशेष कोर्ट ने सुनाया फैसला।
विशेष अभियोजक ने दी थी जानकारी
इससे पहले बीते दिन विशेष अभियोजक सुरेश शाह ने कहा था कि अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष ने 2010 में शुरू हुए मुकदमे के दौरान क्रमशः 187 और 57 गवाहों का परीक्षण किया और लगभग 13 साल तक चले इस मामले में छह न्यायाधीश सुनवाई कर चुके हैं। सितंबर 2017 में भाजपा के वरिष्ठ नेता (अब केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह भाजपा नेता माया कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में अदालत के समक्ष पेश हुए थे। कोडनानी ने अदालत से अनुरोध किया था कि उन्हें यह साबित करने के लिए बुलाया जाए कि घटना के दिन वह गुजरात विधानसभा में और बाद में सोला सिविल अस्पताल में मौजूद थीं, न कि नरोदा गाम में, जहां नरसंहार हुआ था।
अभियोजन पक्ष ने पेश किए थे यह सबूत
अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूतों में पत्रकार आशीष खेतान द्वारा किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो और उस दौरान कोडनानी, बजरंगी और अन्य के कॉल विवरण शामिल थे। जब यह मुकदमा शुरू हुआ, एसएच वोरा पीठासीन न्यायाधीश थे। बाद में उन्हें गुजरात हाईकोर्ट में पदोन्नत किया गया था। उनके उत्तराधिकारी ज्योत्सना याग्निक, केके भट्ट और पीबी देसाई ट्रायल के दौरान सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
गोधरा ट्रेन कांड के एक दिन बाद हुई थी हिंसा
गौरतलब है कि 27 फरवरी 2002 को कारसेवकों से भरी एक ट्रेन अयोध्या से लौट रही थी, जिसपर हमला कर दिया गया था। गोधरा ट्रेन कांड में 58 कारसेवकों की मौत हो गई थी। इसके एक दिन बाद अहमदाबाद शहर के नरोदा गाम इलाके में हिंसा हो गई थी।(एएमएपी)