डीएम की पत्नी ने किया विरोध, पीएम मोदी से की हस्‍तक्षेप की मांग

गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन सिंह की रिहाई को लेकर सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। बिहार के एक दलित आईएएस अधिकारी की हत्या के मामले में उन्हें उम्रकैद की सजा हुई थी। अब बिहार सरकार के एक फैसले के कारण उनकी जेल से रिहाई होने वाली है। गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णनैया की पत्नी ने भी रिहाई का विरोध किया है। उनका कहना है कि आनंद मोहन को तो फांसी होनी चाहिए थी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस फैसले को वापस लेने की अपील की है।

उमा कृष्णनैया ने कहा, “यह अच्छा फैसला नहीं है। हम पहले भी आजीवन कारावास के फैसले से खुश नहीं थे। लेकिन अब तो उन्हें रिहा किया जा रहा है। वह राजनीति में प्रवेश करेंगे। हम इस कदम से सहमत नहीं हैं। यह एक तरह से अपराधियों का मनोबल बढ़ाने वाला फैसला है।”

उन्होंने यह भी कहा कि, ”नीतीश कुमार हत्या के दोषी व्यक्ति को रिहा करके एक भयानक मिसाल कायम कर रहे हैं। यह अपराधियों को सरकारी अधिकारियों पर हमला करने के लिए प्रोत्साहित करेगा, क्योंकि वे जानते हैं कि वे आसानी से जेल से बाहर निकल सकते हैं। महज चंद राजपूत वोटों के लिए उन्होंने ऐसा फैसला लिया है। राजपूत समुदाय को इस पर विचार करना चाहिए। क्या वे चाहते हैं कि आनंद मोहन जैसा अपराधी राजनीति में उनका प्रतिनिधित्व करे।”

उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हस्तक्षेप करना चाहिए और इस फैसले को वापस लेने के लिए नीतीश कुमार को समझाना चाहिए। मेरे पति एक आईएएस अधिकारी थे। उनके साथ न्याय हो, यह सुनिश्चित करना केंद्र की जिम्मेदारी है। मैं तो आजीवन कारावास से भी खुश नहीं थी, लेकिन मुझे अब अपने पति के हत्यारे को पूरी सजा भुगते बिना ही जेल से रिहा होते देखने है। इससे नीतीश कुमार कुछ सीटें जीत सकते हैं या सरकार भी बना सकते हैं, लेकिन क्या जनता ऐसे राजनेताओं और ऐसी सरकार पर विश्वास करेगी?”

आपको बता दें कि गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णनैया की आनंद मोहन सिंह द्वारा भड़काई गई भीड़ ने हत्या कर दी थी। आनंद मोहन की पार्टी के एक अन्य गैंगस्टर छोटन शुक्ला के शव के साथ विरोध कर रही भीड़ ने कृष्णैया पर हमला किया था। छोटन शुक्ला की एक दिन पहले हत्या कर दी गई थी। जी. कृष्णनैया को कार से बाहर खींच लिया गया और पीट-पीट कर मार डाला गया।

आईएएस एसोसिएशन ने भी की निंदा

वहीं, आईएएस एसोसिएशन ने भी आनंद मोहन सिंह को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर निराशा जताई है। संघ ने कहा है कि एक सजायाफ्ता हत्यारे की रिहाई न्याय का उपहास है और यह फैसला पीड़ित को न्याय से वंचित करने के समान है। भारतीय नागरिक और प्रशासनिक सेवा (केंद्रीय) संघ ने कहा, ”हम नीतीश कुमार की अगुवाई वाली बिहार सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हैं।”

आपको बता दें कि बिहार सरकार ने सोमवार को पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह सहित 27 कैदियों की रिहाई से संबंधित आदेश जारी किए थे। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 20 अप्रैल को हुई राज्य दंडादेश परिहार पर्षद की बैठक में इन कैदियों को छोड़ने से संबंधित प्रस्ताव पर सहमति बनी थी।

आनंद मोहन को 2024 में चुनाव लड़ाने की तैयारी

बताया जा रहा है कि जेल से रिहा होने के बाद बाहुबली आनंद मोहन अपना राजनीतिक करियर नए सिरे से शुरू करेंगे। उन्होंने 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ने के भी संकेत दिए हैं। हालांकि आनंद मोहन ने अभी यह नहीं बताया है कि वे जेल से निकलने के बाद किस पार्टी में शामिल होंगे। उनके लिए आरजेडी और जेडीयू के साथ-साथ अन्य दलों के दरवाजे खुले हैं। शिवहर से सांसद रह चुके आनंद मोहन सिंह का अपने इलाके में दबदबा है। उनके बेटे चेतन आनंद अभी शिवहर से आरजेडी के विधायक हैं। गोपालगंज के डीएम रहे दलित आईएएस जी कृष्णैया की हत्या के मामले में आनंद मोहन को उम्रकैद की सजा हुई थी।

आनंद मोहन अभी पैरोल पर जेल से बाहर हैं। सोमवार को पटना में उनके विधायक बेटे चेतन आनंद की सगाई हुई। इस समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत कई बड़े राजनेता शामिल हुए। इसी दिन बिहार सरकरा ने आनंद मोहन समेत 27 कैदियों की जेल से रिहाई की अधिसूचना भी जारी की। इसके बाद एक टीवी चैनल से बातचीत में आनंद मोहन ने राजनीति में वापसी के संकेत दिए।

उन्होंने कहा कि वे पैरोल खत्म होने के बाद वापस जेल लौटेंगे। फिर वहां से रिहाई लेंगे। उसके बाद अपने साथियों से चर्चा करके अगले कदम पर फैसला लेंगे। आनंद मोहन ने अपनी रिहाई के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह बहुत पहले हो जाना चाहिए था। लेकिन राजनीतिक साजिश के तहत उनपर ध्यान नहीं दिया गया था।

आनंद मोहन सहरसा जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी थे। शुरुआती दौर में उनकी एक गैंगस्टर के रूप में छवि उभरी। फिर जेपी आंदोलन के दौरान वे जेल गए। इसके बाद वे राजनीति में आ गए। लालू राज के दौरान उन्होंने सवर्णों के हक के लिए बिहार पीपल्स पार्टी बनाई। आनंद मोहन पांच बार सांसद रह चुके हैं।(एएमएपी)