पीएम मोदी से लेकर राजनीतिक हस्तियों ने जताया दुख

पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार रात आठ बजे 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पंजाब में हिंदू-सिख एकता के अग्रदूत कहे जाते बादल को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद पिछले हफ्ते ही मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती किया गया था। तकलीफ बढ़ने पर शुक्रवार को उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था। अस्पताल के मुताबिक उन्होंने रात करीब आठ बजे अंतिम सांस ली।

 

वे पंजाब के सबसे युवा और उम्रदराज मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने पहली बार 1970 में 43 साल की उम्र में मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। तब वह पंजाब के सबसे कम उम्र के सीएम बने थे। साल 2012 में 84 वर्ष की आयु में बादल ने सबसे उम्रदराज सीएम के तौर पर शपथ ली। भारत सरकार ने उन्हें 2015 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। उन्हें पंजाब में हिंदुओं और सिखों के बीच भाईचारा बनाए रखने के प्रयासों के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

आजादी के साल राजनीति में रखा था कदम

प्रकाश सिंह बादल ने 1947 में राजनीति में पदार्पण किया था। 1957 में पहला विधानसभा चुनाव जीता था। 1969 में प्रकाश सिंह बादल दोबारा विधायक बने थे। वहीं प्रकाश सिंह बादल 1970–71, 1977–80, 1997–2002 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। वहीं 1972, 1980 और 2002 में नेता विपक्ष भी रहे थे। प्रकाश सिंह बादल सांसद और केंद्र में मंत्री भी रह चुके थे। एक मार्च 2007 से 2017 तक उन्होंने दो बार मुख्यमंत्री का दायित्व संभाला।

13 बार लड़ा विधानसभा चुनाव

प्रकाश सिंह बादल 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान, राज्य में सबसे उम्रदराज उम्मीदवार थे, लेकिन दिवंगत सांसद जगदेव सिंह खुदियान के बेटे गुरमीत सिंह खुदियान से चुनाव हार गए थे। यह बादल का 13वां विधानसभा चुनाव था। चुनाव परिणामों के बाद, बादल राजनीतिक रूप से कम सक्रिय हो गए थे। हालांकि उन्होंने लांबा में अपना थैंक्सगिविंग दौरा शुरू किया था, लेकिन वह भी बीच में ही रद्द कर दिया गया था। गौरतलब है कि बादल इससे पहले भी कई रिकॉर्ड बना चुके थे। 1952 में बादल गांव से चुने जाने पर वह सबसे कम उम्र के सरपंच थे।

जमींदार परिवार में हुआ था जन्म

बादल का जन्म एक जमींदार किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने लाहौर (अब पाकिस्तान में) में फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से बी.ए. की डिग्री हासिल की थी। राजनीति में उनका पहला प्रवेश 1947 में हुआ जब वे अपने गांव के नेता चुने गए। 1957 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस पार्टी) के सदस्य के रूप में पंजाब विधान सभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने कुछ साल बाद पंजाब के मुख्यमंत्री के साथ मतभेदों को लेकर पार्टी छोड़ दी और एसएडी में शामिल हो गए।

1967 के राज्य विधानसभा चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन 1969 में उन्होंने अपनी सीट जीतकर वापसी की और राज्य की शिअद के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गए। एक साल बाद उन्हें मुख्यमंत्री नामित किया गया। हालांकि, उनका कार्यकाल केवल एक वर्ष तक चला, क्योंकि पार्टी अंदरूनी कलह से घिरी हुई थी और सरकार को भंग कर दिया गया था।

बार-बार पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए

1969 से 2012 तक बादल बार-बार पंजाब विधान सभा के लिए चुने गए। 1992 एकमात्र अपवाद था। उस साल अकाली दल ने राज्य के चुनावों का बहिष्कार किया था। इसके अलावा, बादल को कई बार जेल भी हुई, जिसमें 1975-77 के आपातकाल के दौरान एक खंड भी शामिल है। 1977 की शुरुआत में वे लोकसभा (संसद के निचले कक्ष) के लिए चुने गए और प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर बादल का कार्यकाल छोटा था, क्योंकि अकाली दल ने जोर देकर कहा कि वह पंजाब की राजनीति में लौट आएं। इसके तुरंत बाद उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया।

भारतीय राजनीति की एक महान हस्ती थे : पीएम मोदी

प्रकाश सिंह बादल के निधन पर शोक जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि प्रकाश सिंह बादल जी के निधन से अत्यंत दु:ख हुआ। वह भारतीय राजनीति की एक महान हस्ती थे, और एक उल्लेखनीय राजनेता थे, जिन्होंने हमारे देश के लिए बहुत योगदान दिया। उन्होंने पंजाब की प्रगति के लिए अथक परिश्रम किया और कठिन समय में राज्य को सहारा दिया।

सबसे बड़ी राजनीतिक शख्सियत थे बादल : राष्ट्रपति मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी प्रकाश सिंह बादल के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि प्रकाश सिंह बादल आजादी के बाद से सबसे बड़ी राजनीतिक शख्सियतों में से एक थे. हालांकि, जनसेवा के उनके अनुकरणीय  करियर को बड़े पैमाने पर पंजाब तक ही सीमित रखा गया. लेकिन उन्हें देशभर से सम्मान मिला. उनका निधन एक शून्य पैदा कर गया है. मेरी संवेदनाएं परिवार और प्रशंसकों के साथ है.

पंजाब के विकास में बादल का योगदान अतुलनीयः राज्यपाल

एक शोक संदेश में राज्यपाल पुरोहित ने कहा कि प्रकाश सिंह बादल भारतीय राजनीति में एक महान शख्सियत और ऐसे नेता थे, जिन्होंने विशिष्टता के साथ पंजाब के लोगों की सेवा की। बादल ईमानदार, ज्ञान और करुणामय व्यक्ति थे, जिन्होंने अपना जीवन हमारे लोगों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। वह पंजाब के सच्चे सपूत थे, जिन्होंने राज्य और यहां के लोगों के हितों को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास किया।

उन्‍होंने कहा कि पंजाब की बढ़ोतरी और विकास में उनका योगदान अतुलनीय है और उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। राज्यपाल ने कहा, ‘मैं प्रकाश सिंह बादल के परिवार और दोस्तों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। इस कठिन समय में मेरे विचार और प्रार्थना उनके साथ है। प्रकाश सिंह बादल की आत्मा को शांति मिले।’ वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने भी बादल के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि बादल के जाने से पंजाब ही नहीं देश की राजनीति को झटका लगा है।

अमरिंदर सिंह ने जताया गहरा शोक

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रकाश सिंह बादल के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उनके बेटे और शिअद (बादल) के अध्यक्ष सुखबीर बादल को भेजे अपने शोक संदेश में कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि वह इस अपूरणीय क्षति पर परिवार से दुख साझा करते हैं। यह न केवल परिवार के लिए बल्कि पूरे राज्य और देश के लिए क्षति है। सरदार बादल एक कद्दावर नेता थे, जिनका सभी राज्यों और सभी दलों में सम्मान था। उनकी कमी लंबे समय तक महसूस की जाएगी और जो खालीपन पैदा हुआ है उसे भरना मुश्किल होगा।

बादल के निधन से सिख पंथ, देश और पंजाब को बड़ी क्षति: ढींडसा

शिरोमणि अकाली दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि बादल के निधन से सिख पंथ, देश और पंजाब को बड़ी क्षति हुई है, जिसकी कभी भरपाई नहीं हो सकती। अपने शोक संदेश में सुखदेव सिंह ढींडसा ने कहा कि प्रकाश सिंह बादल अकाली दल के अलग अस्तित्व को बनाए रखने और देश में क्षेत्रीय दलों को सशक्त बनाने के हिमायती रहे। उन्हें दुनिया भर में सबसे शक्तिशाली सिख नेता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि वाहेगुरु से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें।

जेल में साथ-साथ रहे थे बादल और ढींडसा

सुखदेव ढींडसा ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन का लंबा समय प्रकाश सिंह बादल के साथ बिताया और उस दौरान की अनेक मीठी और कड़वी यादें आज तक ताजा हैं। ढींडसा ने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि हमने पंथ और पंजाब के हितों के लिए एक साथ लंबा समय जेलों में गुजारा और साथ-साथ कई संघर्ष लड़े। बादल के साथ उन्होंने पंजाबी सूबा मोर्चा, कपूरी मोर्चा और धर्मयुद्ध मोर्चा में सक्रिय रूप से भाग लिया।(एएमएपी)