चीन दुनिया के सामने अपनी समृद्ध और विकसित तस्वीर रखने और देश की गरीबी का दुनिया में किसी को पता न चले, इसके लिए चाल चल रहा है। चीन इस संबंध में गरीबी, वृद्ध और विकलांग के वीडियो इंटरनेट से हटा रहा है। एक रिटायर महिला ने वीडियो बनाया था इसमें उसने 100 यूआन (14.50 डॉलर) से खरीदे जा सकने वाले किराने के सामान की वीडियो बनाई थी। यह वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया। इसे चीनी अधिकारियों की ओर से डिलीट कर दिया गया।
वहीं, चीन के एक गायक ने युवाओं में खराब वित्तीय स्थिति को लेकर पैदा हुई कुंठा को गीत के माध्यम से बयां किया। कुछ समय बाद ही उसके इंटरनेट मीडिया अकाउंट को बंद कर दिया गया और गाने पर बैन लगा दिया गया।गत वर्ष एक प्रवासी कामगार का मामला भी बेहद प्रचारित हुआ था। वह परिवार के भरण पोषण के लिए कड़ी मेहनत करता था। उसे कोरोना हो गया। लोगों की काफी सहानुभूति मिली थी। उसके संबंध में यह चर्चा होने लगी कि वह सर्वाधिक मेहनत करने वाला शख्स है।

इंटरनेट मीडिया पर सेंसरशिप कर उसके संबंध में बातचीत पर प्रतिबंध लगा दिया गया। यहां तक की कोई पत्रकार उससे संपर्क न कर सके इसके लिए घर के बाहर पहरा लगा दिया गया था। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने वर्ष 2021 में गरीबी के खिलाफ लड़ाई में एक व्यापक जीत की घोषणा की थी। लेकिन, अब भी बहुत से लोग गरीब हैं या गरीबी रेखा के आसपास अपना जीवन बिताने को मजबूर हैं।

देश में आर्थिक रफ्तार धीमी होने के बाद से लोग भविष्य को लेकर चिंतित हैं। हालांकि, वहां गरीबी पर चर्चा करना एक वर्जित विषय बन गया है। इस वर्ष मार्च में चीन के साइबरस्पेश प्रशासन ने घोषणा की थी कि वह जानबूझकर उदासी और हानि पहुंचाने वाली जानकारी वाले वीडियो या पोस्ट शेयर करने वाले व्यक्ति पर कार्रवाई करेगा, जिससे पार्टी और सरकार की छवि को नुकसान पहुंचता हो। यह वृद्ध, दिव्यांग लोगों और बच्चों के उदास वीडियो पर प्रतिबंध लगाता है।

चीनी शब्द ”पिंकुन” या गरीबी खोजने पर शीर्ष समाचार में गरीबी अमेरिका में मृत्यु का चौथा प्रमुख कारण है जैसे सामाचार सामने आते ही चीन में गरीबी के कारणों की रिपोर्ट सामने आने लगती है।(एएमएपी)