कर्नाटक में मिली हार पर बदली रणनीति
माना जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव हारने के बाद बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। बीजेपी ने पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा लेकिन, कर्नाटक की जनता ने मोदी का चेहरा खारिज कर दिया है। राजस्थान में वसुंधरा राजे विरोधी धड़ा पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने की मांग करता रहा है। वसुंधरा राजे के धुर विरोधी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और सतीश पूनिया मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं। जबकि वसुंधर राजे गुट के नेता राजे के चेहरे पर चुनाव लड़ने की मांग करते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी आलाकमान बदली हुई रणनीति के तहत वसुंधरा राजे के चेहरे को आगे करके चुनाव लड़ सकता है।

स्थानीय नेताओं की अनदेखी नहीं करेगी पार्टी
जानकारों का कहना है कि कर्नाटक की हार से सबक लेते हुए बीजेपी अब स्थानीय नेताओं को तरजीह देने की रणनीति पर मंथन कर रही है। माना जा रहा है कि चुनाव में पीएम मोदी पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा तो होंगे, लेकिन इसके साथ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को मजबूत स्थिति के साथ सामने रखा जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कर्नाटक चुनाव में स्थानीय नेताओं की अनदेखी की गई। जिसका खामियाजा पार्टी ने इस चुनाव में उठाया।
मानजा रहा है कि 2023 के चुनाव में बीजेपी को स्थानीय नेताओं पर अधिक फोकस करना होगा। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि राजस्थान में पीएम मोदी के साथ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को तरजीह दी जा सकती है. पार्टी राजे को शिर्ष नेतृत्व बड़ी भूमिका देने पर विचार कर रही है, ताकि आने वाले चुनाव में राजे के जनाधार के जरिए सत्ता वापसी की जा सके. पार्टी इस बात पर भी मंथन कर रही है कि जो नेता अलग-थलग चल रहे हैं, उन्हें कैसे एक मंच पर लाया जाए।(एएमएपी)



