पास ही, 66 वर्षीय आ बुल हू सोन ने अपनी बेटी की कब्र पर प्रार्थना की, जिसका शव मंगलवार सुबह बरामद किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोचा ने रविवार को चलीं हवा की वजह से बिजली के तोरणों को गिरा दिया और मछली पकड़ने वाली लकड़ी की नावों को तोड़ दिया। सितवे के पास विस्थापित रोहिंग्या के लिए दापिंग शिविर में नौ लोगों की मौत हो गई। स्थानीय नेताओं और अधिकारियों के अनुसार ओहन ताव चाय गांव में एक व्यक्ति और ओहन ताव गी में छह व्यक्ति मारे गए।
सरकारी मीडिया ने ब्योरा दिए बिना सोमवार को पांच मौतों की सूचना दी। मोचा एक दशक से भी अधिक समय में इस क्षेत्र में आने वाला सबसे शक्तिशाली चक्रवात था, जिसने गांवों को उजाड़ दिया, पेड़ों को उखाड़ दिया और रखाइन राज्य के अधिकांश हिस्सों में संचार व्यवस्था ठप कर दी।
कैसे पड़ा ‘मोका’ नाम?
इस शक्तिशाली तूफान को ‘मोका’ नाम मिडिल ईस्ट एशिया के एक देश यमन ने दिया है। ‘मोका’ यमन का एक शहर है, जिसे मोखा भी कहते हैं। ये शहर अपने कॉफी व्यापार के लिए जाना जाता है। इसी के नाम पर ‘मोका कॉफी’ का भी नाम पड़ा।
कौन देता है चक्रवातों के नाम?
संयुक्त राष्ट्र की इकोनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड पैसिफिक (ESCAP) पैनल के 13 सदस्य देश तूफानों का नाम देते हैं। इसमें भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, मालदीव, ओमान, श्रीलंका, थाइलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन शामिल हैं। इस क्षेत्र में उत्पन्न चक्रावतों के नाम देने वाले ग्रुप शामिल देश अल्फाबेटिकली नाम देते हैं। जैसे कि B से बांग्लादेश पहले आता है तो वह पहले नाम सुझाएगा, फिर भारत और फिर ईरान और बाकी देश।(एएमएपी)