दुनिया का सबसे बड़ा डेंगू सीरो सर्वे
डॉ. निवेदिता के मुताबिक, देश के 15 राज्य के 60 जिलों में 240 क्लस्टर में जाकर 12,300 लोगों की रक्त जांच की गई। यह दुनिया का सबसे बड़ा डेंगू सीरो सर्वे है। सर्वे में यह पता चला कि देश के 49 फीसदी आबादी में डेंगू के खिलाफ एंटीबॉडी है। इसका मतलब है कि देश का हर दूसरा व्यक्ति जीवन में एक बार डेंगू संक्रमित हुआ है। चूंकि यह सर्वे 2017-18 में हुआ था तब से लेकर अब स्थिति में और बदलाव आया है। यही वजह है कि भारत में डेंगू सीरो निगेटिव न मिलने की वजह से टीका ट्रायल के लिए फार्मा कंपनियों को विदेश में जाकर लोगों का चयन करना पड़ रहा है।
सरकारी फंड के बिना नहीं बनाएंगे टीका
कोरोना की तरह डेंगू का टीका क्यों नहीं बनाने का सवाल पूछने पर डॉ. निवेदिता ने कहा, यही सवाल आईसीएमआर ने टीका निर्माता कंपनियों से पूछा था। कंपनियों ने कहा कि सरकार के आर्थिक सहयोग के बगैर परीक्षण शुरू नहीं कर सकते हैं। इन्होंने फिलीपींस की उस दुर्घटना का जिक्र किया, जिसमें डेंगवाक्सिया का टीकाकरण होने के बाद कुछ मौत दर्ज हुईं थीं। यह टीका दुनिया की सबसे महंगी खोज में से एक है। सरकार से आर्थिक सहयोग मिलने के बाद इन्होंने परीक्षण शुरू किए। पैनेसिया के ट्रायल में आईसीएमआर ने बजट आवंटित किया है।
बच्चों के लिए बन रहा टीका
भारत में डेंगू रोधी टीके की खोज के लिए दो बड़ी फार्मा कंपनियां खोज में जुटी हैं। इन्हीं में से एक पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) कंपनी ने अपना ट्रायल विदेशी अस्पतालों में भी करने का निर्णय लिया है। सीरम कंपनी दो से 18 साल तक की आयु वालों के लिए टीका पर काम कर रही है। अब तक पहले और दूसरे चरण का ट्रायल पूरा हुआ है। इन दोनों ही परीक्षण में टीका प्रभावी पाया गया है। तीसरे चरण के ट्रायल के लिए उन्हें डेंगू सीरो निगेटिव लोगों की जरूरत पड़ रही है।(एएमएपी)