कच्चे तेल के लिए पूरी तरह आयात पर निर्भर बांग्लादेश के लिए यह संकट कहीं गहरा है। तेल की कमी के चलते पावर कट हो रहा है और इससे इंडस्ट्री भी प्रभावित है। बांग्लादेश की इकॉनमी की रीढ़ कपड़ा और जूता उत्पादन को माना जाता है जो पूरी तरह से एक्सपोर्ट इंडस्ट्री है। यदि इनमें काम प्रभावित होता है तो फिर अर्थव्यवस्था को संभालना मुश्किल होगा और बेरोजगारी के हालात में राजनीतिक स्थिरता भी खतरे में होगी। बांग्लादेश की सरकारी तेल कंपनी का कहना है कि डॉलर की कमी के चलते पेमेंट नहीं हो पा रही है। केंद्रीय बैंक भी इस समस्या का हल नहीं कर पा रहा है और इसके चलते ईंधन की कमी का संकट भी हो सकता है।
कंपनी ने कहा कि मई में तेल की खरीद शेड्यूल के मुताबिक कम रही है और रिजर्व तेजी से खत्म हो रहा है। ऐसी स्थिति हमारे लिए चिंता की बात है। बांग्लादेश हर महीने 5 लाख टन रिफाइन ऑइल खरीदता है और 1 लाख टन कच्चे तेल की खरीद करता है। यह खरीद वह मोटे तौर पर चीन की कंपनी सिनोपेक, भारत की इंडियन ऑयल और इंडोनेशिया की बीएसपी से करता है। कंपनी ने कहा कि कई जगहों से यह कहा गया है कि यदि पेमेंट नहीं आती है तो फिर सप्लाई जारी रखना मुश्किल होगा। इसके अलावा कुछ कंपनियों ने माल की सप्लाई में पहले के मुकाबले कमी कर दी है। फिलहाल बांग्लादेश को भारत से उम्मीद है कि वह डॉलर की बजाय रुपये में पेमेंट कर पाएगा।(एएमएपी)