
यह डील भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग के अनुरूप होगी, जो भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग के लिए नए ढांचे पर आधारित है और जिसे 2015 में 10 वर्षों के लिए नवीनीकृत किया गया था। साल 2016 में एक प्रमुख दर्जा देते हुए भारत को अमेरिका ने रक्षा संबंधों में एक प्रमुख साझेदार (एमडीपी) के रूप में नामित किया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएम मोदी के दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच एक अरब डॉलर की डील होने की संभावना है। दोनों पक्ष टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के असलावा पेमेंट सिस्टम, मशीन की खरीद को लेकर भी बातचीत के अंतिम दौर में हैं। सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका ने अभी तक किसी देश के साथ जेट इंजन निर्माण की टेक्नोलॉजी को साझा करने का सौदा नहीं किया है। डील को लेकर जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि इस लेवल का टेक्नोलॉजी ट्रांसफर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस द्वारा किसी भी देश को नहीं किया गया है।

किन-किन टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की डील संभव
अमेरिका के जनरल इलेक्ट्रिक और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बीचजेट इंजन को लेकर इन पहलुओं पर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर होने की उम्मीद है, जिसे अगले तीन सालों में पूरा किया जा सकेगा।
इन टेक्नोलॉजी पर होगी डील
– कम्प्रेशन डिस्क और ब्लेड
– सिंगल क्रिस्टल टर्बाइन ब्लेड्स की कोटिंग और मशीनिंग
– मशीनिंग और अंदर के गर्म होने वाले पार्ट की कोटिंग
– जंग और गलाव को लेकर स्पेशल कोटिंग
– शाफ्ट बोटल की बोरिंग
– पाउडर मेटर्लजि की मशीनिंग
– पॉलिमर मैट्रिक्स कंपोजिट
– लेजर ड्रिलिंग कम्बंशन
– ब्लिस्क मशीनिंग को लेकर पूरी तरह टेक्नोलॉजी ट्रांसफर(एएमएपी)



