आपका अखबार ब्यूरो। 
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की राष्ट्रीय राजनीति में आने की बेचैनी के कारण राज्य भाजपा और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के युद्ध का मैदान बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री केसीआर ने राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ तीसरा मोर्चा बनाने की घोषणा कर दी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि वे इस मोर्चे से कांग्रेस को बाहर रखना चाहते हैं। केसीआर तेलंगाना की गद्दी बेटे केटी रामाराव को सौंपने को तैयार हैं।

भाजपा का नया विस्तार क्षेत्र

तेलंगाना भाजपा का नया विस्तार क्षेत्र बनने जा रहा है। भाजपा वृहत हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में पूरी ताकत से उतर रही है। नगर निगम के चुनाव के लिए भाजपा ने अपने राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव को प्रभारी बनाया है। भूपेन्द्र यादव बिहार के भी प्रभारी हैं। एक नगर निगम के चुनाव के लिए राष्ट्रीय नेता को प्रभारी बनाकर भाजपा ने संकेत दे दिया है कि वह इस चुनाव को कितनी गंभीरता से ले रही है। याद रहे हैदराबाद अखिल भारतीय मजलिस-ए इत्तेहादुल मुस्लमीन के नेता मुखिया असदउद्दीन ओवैसी का गढ़ है। यहां वे अजेय माने जाते हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीतकर ओवैसी आजकल चर्चा का विषय बने हुए हैं। पहली बार उन्हें उनके ही घर में चुनौती मिलने वाली है।
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लोकसभा चुनाव में भाजपा ने तेलंगाना पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। उसे लग रहा था तेलंगाना में ज्यादा ताकत लगाने का कोई फायदा नहीं मिलेगा। इसलिए वहां भाजपा के बड़े नेताओं ने ज्यादा चुनाव प्रचार भी नहीं किया। पर नतीजे आए तो पार्टी राज्य की सत्रह लोकसभा सीटों में चार जीत गई। नतीजों की समीक्षा से पता चला कि अगर थोड़ा जोर लगाया होता तो दो तीन सीटें और जीती जा सकती थीं। तब से भाजपा को लग रहा है कि कर्नाटक के बाद तेलंगाना उसका दक्षिण का दूसरा द्वार बन सकता है।

केसीआर की महत्वाकांक्षा

मुख्यमंत्री केसीआर की राष्ट्रीय राजनीति की महत्वाकांक्षा से भी भाजपा को अवसर नजर आ रहा है। तेलंगाना में पहले भी भाजपा की अच्छी उपस्थिति रही है। संयुक्त आंध्र प्रदेश में चंद्र बाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी से समझौते के चक्कर में भाजपा सिमट गई। एक समय केसीआर कांग्रेस और फिर तेलुगू देशम पार्टी में थे। चंद्र बाबू से विरोध के कारण वह पार्टी से निकले और अपनी पार्टी बना ली। केसीआर अब अपने बेटे केटी रामराव को राज्य की सत्ता सौंपकर खुद राष्ट्रीय राजनीति में भाग्य आजमाना चाहते हैं। इसके संकेत वे लोकसभा चुनाव के पहले से दे रहे हैं। राज्य की राजनीति में कांग्रेस पार्टी को हाशिए पर धकेल चुके हैं।

भाजपा बनाम टीआरएस

राज्य की विकास योजनाओं में केंद्र की मदद के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अच्छे संबंध बनाकर रखा है। हर महत्वपूर्ण मौके पर उनकी पार्टी राज्यसभा में मोदी सरकार की मदद करती है। पर अब ऐसा लगता है कि तेलंगाना में अगला चुनावी संघर्ष भाजपा और टीआरएस में होगा। वृहत हैदराबाद नगर निगम के चुनाव इस संघर्ष का आगाज बन सकता है।