आपका अखबार ब्यूरो।
बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की जीत में महिला मतदाताओं की अहम भूमिका से उत्साहित भाजपा पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मतदाताओं के इस वर्ग पर दांव लगाने की तैयारी कर रही है। महिला मतदाताओं में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता किसी भी दूसरे वर्ग से ज्यादा है। राज्य में महिला मुख्यमंत्री होते हुए भी भाजपा की इस रणनीति को साहसिक माना जाएगा।
पूर्व का सबसे बड़ा किला
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को भाजपा देश के पूर्वी क्षेत्र का सबसे बड़ा किला मानती है। लोकसभा चुनाव में मिली भारी कामयाबी के बाद भाजपा को लग रहा है कि वह किले को फतह कर सकती है। पूर्वोत्तर राज्यों में पार्टी की सफलता से भी भाजपा का विश्वास बढ़ा है। असम और त्रिपुरा में पिछले विधानसभा चुनाव में पहली सफलता के बाद भाजपा नेताओं को लग रहा है कि अबकी पश्चिम बंगाल की बारी है।
भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी
बंगाल में जीत के लिए पार्टी पूरी ताकत झोंक रही हैं। राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष पिछले दिनों राज्य के दौरे पर थे। उन्होंने संगठन के लोगों को अगले दो महीने के भीतर तेइस संगठनात्मक काम करने के निर्देश दिए हैं। पार्टी ने संगठन की दृष्टि से राज्य को पांच क्षेत्रों में बांटा है। पांचों क्षेत्रों के लिए ग्यारह सदस्यों की टीम बनाई गई है। इसमें प्रदेश प्रभारी कैलाश विजय वर्गीय के अलावा सुनील देवधर, विनोद तावड़े, अमित मालवीय, रविंद मेनन, दुष्यंत गौतम, हरीश द्विवेदी, और विनोद सोनकर इसके सदस्य हैं। प्रदेश के नेता अमित चक्रवर्ती और किशोर बर्मन भी इसके सदस्य बनाए गए हैं।
संगठन के लोगों को जो तेइस काम दिए गए हैं उनमें हर बूथ पर चार महिला कार्यकर्ताओं को शामिल करना, महिला मोर्चा के सदस्यों की प्रभात फेरी, हर बूथ एरिया में सात आठ जगहों पर पार्टी के चुनाव चिन्ह की होर्डिंग लगाना, कार्यकर्ताओं द्वारा साइकिल यात्रा निकालना और जनसम्पर्क जैसे काम हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हर महीने दो दिन और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा तीन दिन राज्य में प्रवास करेंगे।
महिलाएं ममता से खुश नहीं
राज्य में महिला मुख्यमंत्री होने के बावजूद बंगाल में महिलाएं ममता बनर्जी से बहुत खुश नहीं है। इसके अलावा सरकार के खिलाफ दस साल की एंटी इनकम्बेन्सी का भी पार्टी भरपूर फायदा उठाना चाहती है। राज्य में राजनीतिक हत्याओं के कारण ममता लगातार अलोकप्रिय हो रही हैं। यही वजह है कि तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का पार्टी छोड़कर भाजपा में आने का सिलसिला रुक नहीं रहा है।
उम्मीद की जा रही है कि जैसे जैसे चुनाव का समय नजदीक आएगा यह सिलसिला तेज होगा। ममता के लिए चिंता की बात यह है कि पार्टी छोड़ने वालों में जनाधार वालों नेताओं की संख्या ज्यादा है।