आपका अखबार ब्यूरो। 
पंजाब में किसान आंदोलन कांग्रेस राज्य सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। गुरुवार को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ किसान संगठनों के नेताओं की हुई पांच घंटे की बात बेनतीजा रही। 
अब कैप्टन को गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आसरा है। वे दिल्ली में इन दोनों नेताओं से मिलने वाले हैं। पर लगता नहीं कि कोई बात बनने वाली है।

नये ट्रैक्टर निकलावकर ट्रैक्टर रैली

आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने एक अक्तूबर से पंजाब से होकर जाने वाली ट्रेनों का रास्ता रोक दिया है। सगंठन के लोग रेल पटरियों पर बैठे हैं। कांग्रेस पार्टी ने शुरू में इस आंदोलन को खूब हवा दी। दूकानों से नये ट्रैक्टर निकलावकर ट्रैक्टर रैली निकाली गई। कोशिश थी कि मोदी सरकार के इन कानूनों के खिलाफ पूरे देश में किसान एकजुट हों। पर कुछ ही दिनों में किसानों को समझ में आ गया कि ये कानून उनके हित को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं।
Farm bills: Farmers protest in Haryana; Tractor Rally from Punjab to Delhi | India News – India TV

केंद्र के खिलाफ माहौल बनाने के लिए

कुछ दिन बाद ही आंदोलन धीमा पड़ने लगा। कहा तो यह जा रहा है कि पंजाब की मंडियों के आढ़तिए इस आंदोलन का चला रहे हैं। आनन फानन में पंजाब सहित कई राज्यों ने केंद्रीय कानून के खिलाफ राज्य का कानून बनाने का प्रस्ताव पास करके राज्यपाल को भेज दिया। यह जानते हुए कि जब तक राष्ट्रपति इसे मंजूरी नहीं देंगे यह कानून लागू नहीं हो सकता। कांग्रेस की राज्य सरकारों को यह भी पता है कि केंद्र के कानून को निष्प्रभावी बनाने के किसी प्रस्ताव को राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिलेगी। यह सारी कवायद सिर्फ केंद्र सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए की गई। पर यह कोशिश परवान नहीं चढ़ी।

तीस हजार करोड़ का नुक्सान

किसान रेल की पटरियों पर बैठे हैं। रेलवे ने शुरू में मालगाड़ियों को चलाने की कोशिश की तो उस पर पथराव हुआ। रेलवे साफ साफ कह चुकी है कि राज्य सरकार जब तक ट्रेनों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करती ट्रेनें नहीं चलेंगी। किसान नेताओं ने बातचीत में कहा कि वे मालगाड़ी को चलाने की इजाजत दे सकते हैं। पर रेलवे इसके लिए तैयार नहीं है। इससे हो यह रहा है कि पंजाब में सामानों की आवाजाही पूरी तरह बंद है। इससे एक महीने में राज्य को करीब तीस हजार करोड़ का नुक्सान हो चुका है। कांग्रेस का शुरू करवाया किसान आंदोलन अब उसके ही गले की हड्डी बन गया है।

26 से हाईवे जाम

किसान संगठनों ने धमकी दी है कि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे 26 नवम्बर से हाईवे जाम करेंगे। कोरोना काल में सभी राज्यों की माली हालत खस्ता है। ऐसे में तीस हजार करोड़ का घाटा बहुत बड़ा है।