प्रदीप सिंह।
भारतीय जनता पार्टी में इस समय चार नेताओं के भविष्य की जिम्मेदारियों को लेकर खासी चर्चा है। इन चारों के बारे में पार्टी हाई कमान की राय बहुत अच्छी है। चारों परफार्मर माने जाते हैं। इन चारों की खासियत यह है कि इनका अपने राज्यों में अच्छा जनाधार और लोकप्रियता है। इनके केंद्रीय मंत्रिमंडल में आने से सरकार के कामकाज की गति में और तेजी आएगी। साथ ही ये भाजपा में पीढ़ी परिवर्तन की प्रक्रिया को तेज करेंगे।
बजट सत्र से पहले मन्त्रिमण्डल विस्तार
केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा इस समय तेज हो गई है। उम्मीद की जा रही है कि संसद के बजट सत्र से पहले मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार संभव है। उसके दो कारण हैं। कई मंत्रियों के पास एक से अधिक विभाग हैं और कई योग्य लोग खाली बैठे हैं। राजनीतिक कारणों से भी विस्तार जरूरी लग रहा है। सरकार इस समय किसी राजनीतिक संकट से नहीं गुजर रही। बिहार में फिर से एनडीए की सरकार बनने से पार्टी और प्रधानमंत्री का आत्मविश्वास बढ़ा है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल को डेढ़ साल होने वाले हैं। इस बीच कुछ मंत्रियों के निधन से कई जगहें खाली हैं। इसके अलावा मई 2019 में सरकार के गठन के समय विस्तार की गुंजाइश छोड़ी गई थी। सरकार को इस समय ऐसे मंत्रियों की सख्त जरूरत है जो प्रधानमंत्री के काम की रफ्तार से कदम मिला सकें। जेपी नड्डा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने और उनकी टीम तैयार होने से संगठन में बदलाव का काम पूरा हो चुका है।
इन चार नेताओं में सबसे पहला नाम है- हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया। सिंधिया अपने साथ मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार लेकर आए हैं। इसके अलावा उपचुनावों में जीत से उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया कि ग्वालियर, भिंड, मुरैना और उसके आसपास के इलाकों में मतदाताओं पर उनका जादू अब भी चलता है। यूपीए सरकार के समय उन्हें केंद्र सरकार में काम करने का अनुभव भी है।
सुशील मोदी
दूसरे नेता हैं सुशील मोदी। ग्यारह साल तक बिहार में उप मुख्यमंत्री रहे हैं। संघ और विद्यार्थी परिषद की पृष्ठभूमि से आते हैं। जीएसटी काउंसिल में बिहार के वित्त मंत्री के नाते संयोजक की भूमिका बखूबी निभा चुके हैं। इस नाते राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी वे नये नहीं हैं।
देवेन्द्र फडणनवीस
तीसरे नेता हैं, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणनवीस। भाजपा में नई पीढ़ी के ये ऐसे नेता हैं जिन पर केंद्रीय नेतृत्व का बड़ा भरोसा है। पार्टी हाई कमान को लगता है कि फडणनवीस लम्बी रेस का घोड़ा हैं। महाराष्ट्र में इनका राज निष्कंटक बनाने के लिए पार्टी नेतृत्व ने राज्य के कई पुराने नेताओं के पर कतरे। पार्टी के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे इसी वजह से भाजपा छोड़कर शरद पवार के साथ चले गए। उनके मामले में एक ही समस्या है। वे दिल्ली आने के लिए ज्यादा इच्छुक नहीं हैं। पर आखिरी फैसला तो पार्टी हाई कमान ही लेगा।
हिमंत बिस्व सर्मा
इस कड़ी में चौथे नेता हैं असम के वित्त, स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्व सर्मा। उनका यह परिचय अधूरा है। ये वही हिमंत हैं जो कांग्रेस में रहते हुए राहुल गांधी से मिलने गए तो राहुल गांधी अपने कुत्ते को बिस्किट खिलाते रहे। हिमंत पूर्वोत्तर में भाजपा के विस्तार के प्रमुख शिल्पियों में हैं। वे प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के विश्वासपात्र हैं। प्रशासनिक अनुभव के बारे में बहुत से केंद्रीय मंत्रियों से ज्यादा योग्य हैं।
जनधार, ईमानदारी, प्रशासनिक अनुभव
इन चारों नेताओं के बारे में अच्छी बात यह है कि ये चारों देश के अलग अलग राज्यों से आते हैं। चारों का अपने राज्य में जनाधार है। इनकी ईमानदारी संदेह से परे है। इन्हें अच्छा खासा प्रशासनिक अनुभव है। सुशील मोदी को छोड़कर तीनों अभी युवा हैं। इनका केंद्रीय मंत्रिमंडल में आना केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री के लिए भी मददगार होगा। पर सवाल वही है- क्या ऐसा होगा?