पंगु वैदर
शोध पत्र में जिन दो एआई मॉडलों का जिक्र किया गया है, उनमें एक है पंगु वैदर। यह प्रणाली वैश्विक मौसम पैटर्न की एक सप्ताह पहले भविष्यवाणी कर सकती है। मॉडल को 39 सालों के वैश्विक पुनर्विश्लेषण मौसम आंकड़ों का उपयोग करके प्रशिक्षित किया गया है। यह मौसम डेटा के पुनर्विश्लेषण में पारंपरिक भौतिकी आधारित तरीकों की सटीकता को पार करता है। साथ ही यह पारंपरिक तरीकों की तुलना में 10 हजार गुना तेज है, जो मौसम का विश्लेषण और पूर्वानुमान करने में लगने वाले समय को घंटों या दिनों से घटाकर सेकेंडों में लाने में सक्षम हो सकता है। यह मॉडल अक्सर पारंपरिक मौसम पूर्वानुमान प्रणालियों की तुलना में अधिक सटीक है। वास्तव में यह एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात के ऐसे पथ को ट्रैक करने में भी सक्षम था, जिसके आंकड़ों से इसे प्रशिक्षित नहीं किया गया है।
इस घटना को एआई मॉडल के आकस्मिक व्यवहार के रूप में जाना जाता है जो सही होता है। पंगु वेदर पहली एआई विधि है, जो मौसम डेटा के पुनर्विश्लेषण में पारंपरिक भौतिकी-आधारित तरीकों की सटीकता को पार करती है। यह चरम मौसम की घटनाओं की भविष्यवाणी करने में आशाजनक क्षमता दिखाती है, खासकर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों पर नजर रखने में।

नाउकास्ट नेट
शोध पत्र के अनुसार नाउकास्ट नेट नामक एक एआई मॉडल तैयार किया गया है। जो अल्पावधि में छह घंटे पहले तक का पूर्वानुमान लगाता है। यह वर्तमान अवलोकन संबंधी मौसम डाटा के संबंध में अधिक सटीक और विस्तृत जानकारी दे सकता है। 62 पेशेवर मौसम विज्ञानियों ने इस मॉडल का मूल्यांकन किया और अन्य मौसम पूर्वानुमान विधियों के मुकाबले 70 प्रतिशत मामलों में इसे पहले स्थान पर रखा। नाउकास्ट नेट हल्की से भारी बारिश का सटीक पूर्वानुमान व्यक्त करता है। अध्ययन के लेखकों ने कहा कि जब अत्यधिक वर्षा की स्थिति में आपदा की रोकथाम की बात आती है तो यह अविश्वसनीय रूप से उपयोगी हो सकता है। क्योंकि यह छह घंटे पहले भविष्यवाणी करता है और बचाव एजेंसियों के लिए यह समय काफी होता है।
नहीं पड़ेगी सुपर कंप्यूटर की जरूरत, खरबों बचेंगे
शोध पत्र में कहा गया है, एआई से मौसम पूर्वानुमान सही निकलने शुरू हुए तो मौसम एजेंसियों पर खर्च होने वाली खरबों की राशि, सुपर कंप्यूटर आदि की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि, शोधपत्र के सह लेखक और चीनी कंपनी हुआवेई से जुड़ी लिंग्सी झी ने कहा कि एआई संख्यात्मक मौसम भविष्यवाणी के लिए नए अवसर प्रदान करता है। पर यह पारंपरिक तरीकों की जगह नहीं ले पाएगा। बल्कि हाइब्रिड पूर्वानुमान प्रणाली में इसे एकीकृत किया जा सकता है। इससे मौसम पूर्वानुमान कौशल में सुधार होगा। गति में तेजी आएगी और लागत भी कम होगी।(एएमएपी)



