बाढ़ प्रभावित इलाकों से लोगों को दूर रखने धारा 144 लागू।

दिल्ली समेत उत्तर-भारत के अधिकांश राज्यों में बीते सप्ताह मानसून की बारिश आफत बनकर बरसी है। दिल्ली की बात करें तो यहां उफनाई यमुना ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। बुधवार को यमुना का जलस्तर 207.55 मीटर तक पहुंच गया जोकि अब तक का सर्वाधिक स्तर है। इससे पहले 1978 में ऐसी बाढ़ आई थी। कई रिहायशी इलाकों में बाढ़ का पानी घुस आया है तो रिंग रोड पर भी चढ़ जाने को बेताब है। इससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालात बिगड़ते देख मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इमरजेंसी बैठक बुलाई है। वहीं, दिल्ली पुलिस ने बाढ़ प्रभावित इलाकों से लोगों को दूर रखने के लिए धारा 144 लागू कर दी है।दिल्ली में बुधवार दोपहर करीब एक बजे यमुना का जल स्तर 207.55 मीटर को छू गया। इससे पहले 6 सितंबर 1978 को जलस्तर 207.49 मीटर तक पहुंचा था। हथिनीकुंड बैराज से और अधिक पानी छोड़े जाने की वजह से जलस्तर में इजाफा अभी जारी है। साल के अधिकतर महीनों में बेहद कम पानी वाली नदी में इस तरह के उफान ने निचले इलाके में रहने वाले लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है।

यमुना बेल्ट में बनीं झुग्गियां पहले ही डूब चुकी हैं। अब खतरा यमुना के आसपास बसे कॉलोनियों की ओर बढ़ने लगा है। जैतपुर इलाके में कई स्थानों पर बाढ़ का पानी लोगों के घरों तक पहुंच गया है। एक अधिकारी ने बताया, ‘खड्डा कॉलोनी, विश्वकर्मा कॉलोनी और आसपास के इलाकों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है।’ एक अन्य अधिकारी ने कहा कि जिन बस्तियों में बाढ़ आई है, वे तटबंध के अंदर स्थित हैं। तटबंध इन बस्तियों की रक्षा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि तटबंध में अभी कहीं दरार नहीं आई है।

सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बुधवार सुबह नाव से यमुना में जाकर हालात का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि निचले इलाकों में तटबंध बनाए जा रहे हैं ताकि यमुना का जलस्तर बढ़ने पर पानी शहर में ना घुसे। इससे पहले 1978 में जब हथिनीकुंड बैराज से 7 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था तो राजधानी में बाढ़ आ गई थी। उस समय पुराने रेलवे पुल के पास यमुना का स्तर 204.79 मीटर था। तब शहर के कई इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया था। एक अधिकारी ने बताया कि तब से सरकार ने शहर में पानी को घुसने से रोकने के कई इंतजाम किए हैं।

सांप व बिच्छू का खतरा बढ़ा

मयूर विहार सब डिवीजन के तहसीलदार विनोद कुमार सिंह ने बताया कि रात में पानी बढ़ने पर ऊंची व सूखी जगहों पर पानी भरने लगा तो सांप व बिच्छू निकलने लगे। लोगों को उनके घरों के पास जाकर समझाने की कोशिश की गई कि अब तराई इलाके में रहना उनके लिए सुरक्षित नहीं है। बाढ़ का खतरा होने के साथ-साथ सांप-बिच्छू भी लोगों की जान के लिए खतरा बन सकते हैं।

चिल्ला से एनएच-24 तक तीन किमी तक टेंट

यमुना की तराई से निकाले लोगों के लिए चिल्ला से एनएच-24 तक, डीएनडी से निजामुद्दीन फ्लाइओवर और यमुना बैंक से आईटीओ पुल तक राहत शिविर लगाए गए हैं। यहां खाने-पीने का इंतजाम है। सहायता समूहों की ओर से मेडिकल कैंप भी लगा दिए गए हैं। रात में निकाले लोगों को यहां सुबह करीब नौ बजे खाना दिया गया था और दोपहर में करीब डेढ़ बजे टेंट लगाने शुरू किए गए। नोएडा-दिल्ली लिंक रोड पर करीब 1000 राहत शिविर लगाए गए हैं। डूसिब की तरफ से यहां पर मोबाइल टॉयलेट लगाने की तैयारी की जा रही थी।(एएमएपी)